बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद, पांच हजार से अधिक श्रद्धालु बने साक्षी।
कपाट बंद होने की प्रक्रिया
ब्रह्म मुहूर्त में खुली यात्रा: कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत आज सुबह ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर के द्वार खोले गए।
विधि-विधान से पूजा: श्री रावल, धर्माधिकारी और वेदपाठियों ने पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना संपन्न कराई।
प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति: इस महत्वपूर्ण मौके पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज, दंडी स्वामी मुकुंदानंद महाराज, मंदिर समिति अध्यक्ष श्री हेमंत द्विवेदी, उपाध्यक्ष श्री ऋषि प्रसाद सती, श्री विजय कप्रवान, तथा मुख्य कार्याधिकारी/कार्यपालक मजिस्ट्रेट श्री विजय प्रसाद थपलियाल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
शीतकालीन प्रवास की यात्रा कल से
बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि भगवान बदरीनाथ की गद्दी सहित अन्य विग्रहों की शीतकालीन प्रवास यात्रा कल से शुरू होगी:
26 नवंबर: श्री कुबेर जी एवं उद्धव जी, रावल जी सहित आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी शीतकालीन प्रवास के लिए पांडुकेश्वर प्रस्थान करेगी।
शीतकालीन निवास: श्री उद्धव जी और कुबेर जी की गद्दी शीतकाल में पांडुकेश्वर में प्रवास करेंगी।
27 नवंबर: आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी, श्री नृसिंह मंदिर, ज्योतिर्मठ (जोशीमठ) के लिए प्रस्थान करेंगी। श्री गरूड़ जी भी इससे पहले ज्योर्तिमठ पहुंच जाएंगे।
अब अगले छह महीनों तक श्रद्धालु इन शीतकालीन प्रवास स्थलों पर भगवान बदरी विशाल की पूजा-अर्चना कर सकेंगे।


