लोक निर्माण विभाग के कार्यों पर सवाल

गढ्ढा मुक्त अभियान या गढ्ढायुक्त अभियान,
खबर शेयर करें:


लोक निर्माण विभाग के कार्यों पर सवाल: गुणवत्ता से समझौता, दुर्घटना का खतरा।

रुद्रप्रयाग- मुख्यमंत्री धामी के सख्त निर्देश पर उत्तराखंड में सड़कों को 'गड्ढामुक्त' बनाने का सपना, रुद्रप्रयाग जिले में लोक निर्माण विभाग (PWD) के हालिया कार्यों की निम्न गुणवत्ता के कारण टूटता नजर आ रहा है। तिलवाड़ा-मयाली-चिरबिटिया और मयाली-जखोली मोटरमार्ग पर, जहां मात्र एक माह पूर्व ही डामरीकरण और पैच वर्क का कार्य पूरा हुआ था, वे सड़कें अब पुनः 'गड्ढेयुक्त' हो गई हैं। सड़क से उखड़े डामर के गार (ढेलों) ने दुपहिया वाहन चालकों के लिए गंभीर दुर्घटनाओं का खतरा पैदा कर दिया है।

 लागत में कटौती: गुणवत्ता से समझौता

इस भयावह स्थिति के पीछे की मुख्य वजह विभागों द्वारा अपनाई जा रही निविदा प्रक्रिया और ठेकेदारों की 'बचत' की मानसिकता है। PWD, जो स्वयं एक तकनीकी विभाग है और विभागीय दरों के आधार पर प्राक्कलन (Estimates) तैयार करता है, उसे यह मूलभूत बात समझ नहीं आ रही कि कार्य की अनुमानित लागत से 40% तक कम बोली लगाकर ठेकेदार गुणवत्ता से समझौता क्यों नहीं करेगा। यदि ₹100 का कार्य ₹60 में किया जा रहा है, तो यह स्पष्ट है कि ठेकेदार 'सेवा भाव' में नहीं, बल्कि मुनाफे के लिए काम कर रहा है।

सवाल यह है कि PWD जैसी तकनीकी विशेषज्ञता रखने वाली संस्था इतनी बड़ी तकनीकी त्रुटि को अनदेखा कैसे कर रही है? इसका सीधा परिणाम सड़क निर्माण में दिख रहा है: जहां देश की आज़ादी के समय के भवन आज भी मजबूती से खड़े हैं, वहीं आज के समय में निर्मित संरचनाएँ एक वर्ष के भीतर ही मरम्मत के लिए तैयार हो जाती हैं। यह स्थिति स्पष्ट रूप से जन-धन की बर्बादी और निर्माण में गंभीर लापरवाही को दर्शाती है।

 हिमालय की आवाज़ का हस्तक्षेप और घटिया कार्यप्रणाली

मयाली-तिलवाड़ा मोटरमार्ग पर पैच भरने के दौरान हुई अनियमितताएं भी विभाग की कार्यप्रणाली पर गहरा प्रश्नचिह्न लगाती हैं। स्थानीय मीडिया 'हिमालय की आवाज़' ने 10 अक्टूबर 2025 को "तिलवाड़ा-मयाली-जखोली मोटरमार्ग: गड्ढा मुक्त अभियान पर गुणवत्ता का ग्रहण, सरकारी धन की बर्बादी पर उठे सवाल" शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इस रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया था कि ठेकेदार द्वारा ठंडे डामर से ही पैच वर्क करके कर्तव्य की इतिश्री की जा रही थी। मीडिया के हस्तक्षेप के बाद ही आनन-फानन में भट्ठी की व्यवस्था की गई और डामर को गर्म करके बिछाया गया, लेकिन तब तक घंटों तक ट्रक में पड़ा ठंडा डामर उपयोग में लाया जा चुका था।

यह भी पढ़ें- "तिलवाड़ा-मयाली-जखोली मोटरमार्ग: गड्ढा मुक्त अभियान पर गुणवत्ता का ग्रहण, सरकारी धन की बर्बादी पर उठे सवाल"

ताजा मामला पालाकुराली मोटरमार्ग से ममनी पुल तक ओर तहसील व विकासखण्ड मुख्यालय जखोली से मयाली मोटरमार्ग के डामरीकरण का है। अक्टूबर 2025 में पूरी सड़क को डामरीकृत किया गया, लेकिन दुर्भाग्यवश, अब उन स्थानों पर भी गड्ढे बन गए हैं जहां पहले कोई खामी नहीं थी। उखड़े डामर के गार अब सड़क पर अत्यधिक मात्रा में जमा हो गए हैं, जिससे खासकर रात के समय दोपहिया वाहन चालकों के लिए संतुलन खोने और फिसलने का खतरा कई गुना बढ़ गया है।

 मुख्यमंत्री के 'गड्ढामुक्त' सड़क अभियान को PWD रुद्रप्रयाग की अदूरदर्शिता और ठेकेदारों पर नियंत्रण की कमी ने 'गड्ढेयुक्त' अभियान में बदल दिया है। जब तक विभाग निविदा प्रक्रिया में गुणवत्ता के मानदंडों को प्राथमिकता नहीं देगा और ठेकेदारों की जवाबदेही तय नहीं करेगा, तब तक सरकारी धन की बर्बादी और जनता के लिए दुर्घटना का खतरा बना रहेगा।


खबर पर प्रतिक्रिया दें 👇
खबर शेयर करें:

हमारे व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ें-

WhatsApp पर हमें खबरें भेजने व हमारी सभी खबरों को पढ़ने के लिए यहां लिंक पर क्लिक करें -

यहां क्लिक करें----->