तिलवाड़ा-मयाली मोटरमार्ग: गड्ढा मुक्त अभियान पर गुणवत्ता का ग्रहण

तिलवाड़ा-मयाली मोटरमार्ग-सरकारी धन की बर्बादी पर उठे सवाल,
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तिलवाड़ा-मयाली मोटरमार्ग: गड्ढा मुक्त अभियान पर गुणवत्ता का ग्रहण, सरकारी धन की बर्बादी पर उठे सवाल

दीपावली तक सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के जिलाधिकारी के आदेश की आड़ में लोक निर्माण विभाग पर तकनीकी मानकों की अनदेखी का आरोप, हफ्ते भर में ही उखड़ने लगे पैच।

रुद्रप्रयाग। एक ओर जहाँ जिला प्रशासन चारधाम यात्रा मार्गों और ग्रामीण सड़कों को दीपावली तक गड्ढा मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध दिख रहा है, वहीं दूसरी ओर लोक निर्माण विभाग रुद्रप्रयाग की कार्यप्रणाली इस अभियान की सफलता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा रही है। तिलवाड़ा-मयाली मोटरमार्ग, जो न केवल गंगोत्री-यमुनोत्री चारधाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि 100 से अधिक गांवों के लिए जीवन रेखा भी है, इन दिनों गुणवत्ताविहीन पैचवर्क का शिकार हो रहा है।

बरसात के कारण बदहाल हुई इस सड़क पर विभाग द्वारा गड्ढे भरने का काम तो शुरू किया गया है, लेकिन तकनीकी मानकों को ताक पर रखकर। सबसे बड़ी लापरवाही डामर (बिटुमिन) के तापमान को लेकर बरती जा रही है। स्थानीय लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, डामर से भरा ट्रक सुबह ही साइट पर पहुंच जाता है और उसी सामग्री का उपयोग शाम तक गड्ढे भरने के लिए किया जाता है। सुबह से शाम तक खड़े ट्रक में डामर का तापमान निर्धारित मानकों से काफी नीचे चला जाता है, जिससे उसकी पकड़ और जुड़ाव की क्षमता लगभग समाप्त हो जाती है। परिणाम यह है कि जिन गड्ढों को भरे हुए अभी एक सप्ताह भी नहीं बीता है, वे उखड़ने लगे हैं और गिट्टियां सड़क पर बिखर रही हैं।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों में आक्रोश

इस गुणवत्ताविहीन कार्य को लेकर स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों में भारी रोष है। बैनोली के ग्राम प्रधान, श्री सूर्यप्रकाश नौटियाल, ने विभाग की कार्यशैली पर तंज कसते हुए कहा, "इससे अच्छी तो हमारी पहले की गड्ढे वाली सड़क ही थी। कम से कम वाहन चालकों को यह पता तो होता था कि गड्ढा कहाँ पर है और उन्हें वाहन कैसे निकालना है। अब तो इन उखड़ते पैचों के कारण स्थिति और भी खतरनाक हो गई है।" उनका यह बयान विभाग की कार्यप्रणाली की पोल खोलने के लिए काफी है, जो केवल आंकड़े पूरे करने के लिए जनता के पैसे की बर्बादी कर रहा है।


क्या है पैचवर्क की सही तकनीकी प्रक्रिया?

सड़क पर गड्ढों को भरने (पैचवर्क) के लिए एक निर्धारित वैज्ञानिक और तकनीकी प्रक्रिया होती है, जिसका पालन करना सड़क की मज़बूती और जीवनकाल के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसके मुख्य चरण निम्नलिखित हैं:

  1. गड्ढे की सफाई (Cleaning): सबसे पहले गड्ढे में से धूल, मिट्टी, पानी और ढीली गिट्टियों को पूरी तरह से साफ किया जाता है। इसके लिए अक्सर तार ब्रश और हवा के प्रेशर का उपयोग होता है।

  2. किनारों की कटाई (Edge Cutting): गड्ढे के किनारों को एक समान और सीधा (आमतौर पर आयताकार) आकार में काटा जाता है ताकि पैच की पकड़ मज़बूत हो।

  3. प्राइमर या टैक कोट (Tack Coat Application): गड्ढे की सतह और किनारों पर बिटुमिन का एक पतला लेप (टैक कोट) लगाया जाता है। यह पुराने और नए डामर के बीच एक मज़बूत बॉन्ड बनाने के लिए गोंद का काम करता है।

  4. गर्म मिश्रण भरना (Filling with Hot Mix Asphalt): इसके बाद, निर्धारित तापमान (आमतौर पर 120°C से 160°C के बीच) पर गर्म किया हुआ डामर और गिट्टी का मिश्रण गड्ढे में भरा जाता है। तापमान इस प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि ठंडा डामर ठीक से जुड़ता नहीं है।

  5. कुटाई और संघनन (Compaction): मिश्रण भरने के बाद रोलर या कॉम्पेक्टर की मदद से इसकी अच्छी तरह से कुटाई की जाती है ताकि मिश्रण के अंदर कोई हवा न रहे और यह सड़क की सतह के बराबर ठोस रूप से बैठ जाए।

तिलवाड़ा-मयाली मोटरमार्ग पर चल रहे काम में स्पष्ट रूप से चौथे और सबसे महत्वपूर्ण चरण (गर्म मिश्रण) की अनदेखी की जा रही है, जिसके कारण यह पैचवर्क कुछ ही दिनों में दम तोड़ रहा है। यह विचारणीय सवाल है कि लोक निर्माण विभाग के तकनीकी कर्मचारी और इंजीनियर इस बड़ी खामी पर ध्यान क्यों नहीं दे रहे हैं। यह स्थिति न केवल सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि सड़क का उपयोग करने वाले हजारों लोगों की सुरक्षा के साथ भी एक गंभीर खिलवाड़ है।

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