बिना चौकीदार के चल रही नहर टूटने से चौंरा गावँ को बन गया खतरा

नहर टूटने से बना चोंरा गावँ को खतरा,
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हिमलाय की आवाज़

बिना चौकीदार के चल रही नहर टूटने से चौंरा गावँ को बन गया खतरा।

लगातार हो रही बारिश के चलते जंगलों के पानी से भर रही है नहर, भगवान भरोसे है 30 से अधिक गावों की किस्मत। 

जनपद रुद्रप्रयाग के विकासखण्ड जखोली में बनी लस्तर गाड़ पर सिंचाई नहर है एशिया में अग्रिम स्थान रखने वाली नहर।

रुद्रप्रयाग- जखोली विकासखंड जखोली के अन्तर्गत लस्तर नहर का निर्माण बर्ष 1977-78 मे हुआ था। तब तत्कालीन विधायक विद्या सागर नौटियाल ने देखा कि बांगर क्षेत्र मे बहने वाली लस्तर नदी मे खेतो की सिंचाई हेतू पर्याप्त पानी है तो विधायक ने लस्तर गाड़ पर सिंचाई नहर बनाने की स्वीकृति प्रदान करने मे अहम भूमिका निभायी थी।  कहने को यह नहर एशिया में अग्रिम पंक्ति की नहर है पर सिंचाई विभाग रुद्रप्रयाग के द्वारा इस नहर का रखरखाव किया जाता है जो बिना किसी चौकीदार के।

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नहर का कमाण्ड एरिया 1165 हेक्टेयर सिंचन क्षमता 1040 हेक्टेयर है। बर्ष 2011-12 मे इस नहर का 1.8 किलोमीटर विस्तारीकरण बजीरा  तक किया गया,  जिसकी लम्बाई वर्तमान समय मे 30.8 किलोमीटर है। इतने बड़े क्षेत्र को सिंचित करने का आसरा जिस नहर पर है वह बिना किसी चौकीदार के संचालित  है यह बहुत बड़ी लापरवाही है क्योंकि यह नहर पहाड़ के ऊपरी क्षेत्र  गुजरती है और इस नहर के निचली तरफ 30 से अधिक गावं हैं। जो इस तरह नहर टूटने से अपने अस्तित्व को कभी भी खो सकते हैं। 

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सिंचाई विभाग रुद्रप्रयाग की लापरवाही के चलते चौंरा गांव के ठीक  ऊपर लगभग 150 मीटर पर नहर क्षतिग्रस्त हुई, लापरवाही ये है कि नहर के अंदर बडे-बडे पत्थर  घुसे हुए हैं, भारी बारिश के चलते नहर मे अत्यधिक पानी आ जाने से नहर टूट गयी और नहर का सारा पानी चौंरा गांव मे बहने लगा है। जिससे पूरे गांव को खतरा पैदा हो गया है।कहीं ऐसा न हो कि सिंचाई विभाग की इस लापरवाही  का खामियाजा चौंरा गांव की जनता को भुगतना पड़े।

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अगर सिंचाई विभाग चाहता तो 28 अगस्त 2025 की रात हुई अतिवृष्टि को देखते हुए हाफ सूटों को खोलने की कार्यवाही करता जो चोंरा गावँ से बमुश्किल 800 मीटर दूर सेमगाड़ गदेरे पर है ओर हाफ सूट लगभग हर आधे से एक किलोमीटर पर हैं जिससे जंगलों के पानी जो नहर में जमा होता उसका वितरण हो जाता और चोंरा गावँ बच  जाता। लेकिन विभागीय चौकीदार या अन्य कोई भी व्यवस्था का न होना किसी बड़ी आपदा को न्योता देने जैसे है जिसपर जिला प्रशासन अवश्य संज्ञान लेगा और उचित मानव श्रम शक्ति की व्यवस्था हेतु सिंचाई विभाग  निर्देशित करेगा। 

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