पहाड़ की 'अदृश्य योद्धा' महिलाएं खतरे में।
मानव-वन्यजीव संघर्ष: पोखरी में घास लेने गई महिला पर भालू का जानलेवा हमला।
रात भर जंगल में मौत से जूझती रही महिला, हालत गंभीर।
चमोली/उत्तराखंड: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष का एक और डराने वाला मामला सामने आया है। चमोली जिले के विकासखंड पोखरी के पाव गांव की एक महिला पर बुधवार को जंगल में घास काटने के दौरान एक भालू ने अचानक हमला कर दिया, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गईं।
बुधवार दोपहर 42 वर्षीय रामेश्वरी देवी जब घास काटने के लिए जंगल गई थीं, तो शाम तक घर न लौटने पर परिजनों ने ग्रामीणों के साथ उनकी तलाश शुरू की। अंधेरा अधिक होने के कारण खोज अभियान रोकना पड़ा।
गुरुवार की सुबह जब ग्रामीणों और वन विभाग की टीम ने दोबारा सर्च अभियान शुरू किया, तो महिला जंगल के बीच एक पेड़ के सहारे खून से लथपथ और डरी-सहमी हालत में गिरी हुई मिली। बताया जा रहा है कि भालू ने उनके चेहरे और शरीर के कई हिस्सों पर गहरे घाव किए हैं। महिला ने किसी तरह खुद को भालू से छुड़ाया और रात भर दोबारा हमले के डर से एक पेड़ के सहारे छिपकर अपनी जान बचाई।
अस्पताल में भर्ती, वन विभाग ने शुरू की कॉम्बिंग
स्थानीय लोगों ने तुरंत घायल महिला को अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उनकी हालत गंभीर बताई है। इस घटना से पाव गांव और आस-पास के क्षेत्रों में दहशत का माहौल है। वन विभाग ने घटना की पुष्टि करते हुए ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी है और जंगल में भालू की गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए कॉम्बिंग (तलाशी) शुरू कर दी है।
पहाड़ की 'अदृश्य योद्धा' महिलाएं खतरे में
यह घटना एक बार फिर पहाड़ की कठिन वास्तविकता को दर्शाती है। पहाड़ी क्षेत्र में भालू और गुलदार के हमलों में जान गंवाने वालों में लगभग 99% महिलाएं होती हैं। रोजगार और शिक्षा के लिए पुरुषों व बच्चों के पलायन के कारण पहाड़ के अधिकांश गांव बंजर होते जा रहे हैं।
अधिकतर परिवार देहरादून, दिल्ली या जनपद स्तर पर बस गए हैं, जिसके साक्ष्य गांव में बंजर पड़े मकानों से मिलते हैं। ऐसे में, गांव में अब मुख्य रूप से वो ही परिवार बचे हैं जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है। इन तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, यह महिलाएं ही हैं जो पशुपालन और खेती का कार्य कर, पहाड़ को आबाद रखने का असाधारण बोझ उठा रही हैं। विडंबना यह है कि जंगली जानवरों के ये अचानक हमले, अब इन्हीं 'अदृश्य योद्धाओं' की जान पर बन आए हैं।


