रुद्रप्रयाग में भालू का आतंक: वन विभाग मुस्तैद, 10 कैमरे लगाए गए

भालू के आतंक से ग्रामीण परेशान,
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भालू प्रभावित क्षेत्रों में वन विभाग मुस्तैद, 10 कैमरे लगाए गए।

धारकुड़ी बांगर में 7 महिलाओं पर हमले के बाद निगरानी तेज; मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए जनजागरूकता अभियान।

रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।

रुद्रप्रयाग वन प्रभाग का दस्ता धारकुड़ी बांगर क्षेत्र में भालू की निगरानी के लिए पूरी तरह मुस्तैद हो गया है। यह कदम दो दिन पहले हुई घटना के बाद उठाया गया है, जब धारकुड़ी बांगर में सास-बहू सहित कुल सात महिलाएं भालू के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। क्षेत्र में बढ़ते वन्यजीवों के हमलों से ग्रामीणों में भय का माहौल है, जिसके चलते वन विभाग ने उत्तरी जखोली और दक्षिणी जखोली रेंज के कर्मचारियों को लगातार निगरानी के काम में लगाया है।

 सघन निगरानी और जन जागरूकता पर ज़ोर

वन्यजीव की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए वन विभाग ने मौके पर अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया है। उत्तरी जखोली के वनक्षेत्राधिकारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि क्षेत्र में भालू की हलचल को ट्रैक करने के लिए 10 कैमरे (ट्रैकिंग कैमरा) लगाए गए हैं।

इसके साथ ही, स्थानीय निवासियों को जंगली जानवरों से बचाव और सावधानी बरतने के लिए जन जागरूकता गोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है और डोर-टू-डोर संपर्क के माध्यम से आवश्यक सावधानियां बताई जा रही हैं।

भालू के हमले से बचने के लिए आवश्यक सावधानियां

वन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने ग्रामीणों को सुरक्षित रहने के लिए निम्नलिखित छह महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं:

  1. समूह में चलें: कभी भी अकेले जंगल या उसके आसपास के क्षेत्रों में न जाएं, हमेशा समूह में रहें।

  2. प्रकाश व्यवस्था: घर के आसपास पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था सुनिश्चित करें।

  3. बच्चों की सुरक्षा: बच्चों को किसी भी हाल में अकेला न छोड़ें।

  4. तेज आवाज़: चलते समय ऊंची आवाज में बातचीत करते रहें, जिससे जानवर आपकी उपस्थिति से अवगत हो जाएं।

  5. खाद्य अपशिष्ट: बचा हुआ भोजन या अन्य खाद्य अपशिष्ट खुले में न फेंकें। यह जंगली जानवरों को मानव बस्तियों की ओर आकर्षित करता है।

  6. उकसाना मना है: जंगली जानवरों को पत्थर न मारें या उन्हें उकसाने का प्रयास न करें।

वन विभाग का कहना है कि जंगली जानवरों और मनुष्यों के बीच सामंजस्य बनाना अनिवार्य है, ताकि किसी के जीवन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। गश्ती टीम सुबह, शाम और रात के समय लगातार गश्त कर रही है।

 मानव-वन्यजीव संघर्ष कम करने के लिए सरकार क्या प्रयास करे?

बढ़ते वन्यजीव हमलों को देखते हुए, सरकार को मानव-वन्यजीव संघर्ष (Human-Wildlife Conflict) को कम करने के लिए निम्नलिखित बहु-आयामी रणनीति पर विचार करना चाहिए:

प्रयास का क्षेत्रसुझावित सरकारी पहल
आवास और गलियारेवन्यजीव गलियारों का संरक्षण: जानवरों के प्राकृतिक आवागमन मार्गों (Wildlife Corridors) की पहचान कर उन्हें सुरक्षित और अतिक्रमण-मुक्त किया जाए। इसके अतिरिक्त, मानव बस्तियों के निकट बाड़बंदी (जैसे सोलर फेंसिंग) की जाए।
क्षतिपूर्ति और राहतत्वरित और पर्याप्त मुआवज़ा: वन्यजीव हमले में घायल या मृत्यु होने पर, तथा फसल/पशुधन की हानि पर, मुआवज़ा राशि को बढ़ाकर समय पर वितरित किया जाए, जिससे लोगों में सरकार के प्रति भरोसा बढ़े।
प्रौद्योगिकी और निगरानीअर्ली वार्निंग सिस्टम: जीपीएस ट्रैकिंग कॉलर और आधुनिक सेंसर-आधारित चेतावनी प्रणालियाँ (Early Warning Systems) विकसित की जाएं, जो जानवरों के आबादी वाले क्षेत्रों में प्रवेश करने से पहले अलर्ट जारी कर सकें।
क्षमता निर्माणवन कर्मियों का प्रशिक्षण: वन कर्मचारियों को वन्यजीवों को सुरक्षित रूप से भगाने (Capture and Translocation) और संघर्ष प्रबंधन की आधुनिक तकनीकों में प्रशिक्षित किया जाए।
स्थानीय भागीदारीग्राम स्तरीय समितियाँ: संघर्ष प्रबंधन के लिए ग्राम पंचायतों और स्थानीय लोगों को शामिल करते हुए समितियाँ बनाई जाएं, जो जागरूकता फैलाने और निगरानी में मदद करें।
प्राकृतिक भोजन की उपलब्धतावन के भीतर हस्तक्षेप: जंगलों के भीतर जानवरों के लिए पानी और प्राकृतिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए, ताकि वे भोजन की तलाश में मानव बस्तियों की ओर न आएं।

इन प्रयासों से ही एक स्थायी समाधान की ओर बढ़ा जा सकता है, जिससे मानव और वन्यजीव दोनों का जीवन सुरक्षित रह सके।


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