कोठियाड़ा-चन्दी, डाण्डा-चमसारी ओर जयंती गावँ के आसपास के गावों में तेन्दुए का लगातार आना किसी बड़ी घटना की सम्भावना

मानव वन्यजीव संघर्ष की घटना पहाड़ की सबसे बड़ी समस्या,
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 कोठियाड़ा-चन्दी, डाण्डा-चमसारी ओर जयंती गावँ के आसपास के गावों में तेन्दुए का लगातार आना किसी बड़ी घटना की सम्भावना।

सायंकाल होते ही बस्तियों के नजदीक ओर दिन में खेतों में लगातार तेंदुआ दिखने से क्षेत्र में दहशत का माहौल।

जुलाई माह 2024 से इस क्षेत्र में तेंदुए द्वारा 2 स्कूली बच्चों और 3 महिलाओं को हमला कर घायल किया चुका है। मानव वन्यजीव के संघर्ष की घटनाओं का लगातार बढना चिंताजनक है।

जनपद रुद्रप्रयाग के विकासखण्ड जखोली के नजदीकी गावों में गुलदार/बाघ की दहशत से क्षेत्र में असुरक्षा का माहौल बन गया है। कुछ दिनों पहले खरियाल गावँ में पिंजरा भी लगाया था पर अभीतक 1 माह होने को है सफलता नही मिल पाई है।

अंदाजा यह है कि तेंदुए ने स्थान परिवर्तन कर इस क्षेत्र में अपना स्थान बना लिया है क्योंकि दिनभर बस्तियों के नजदीक रहने से ओर सांयकाल होते ही बस्तियों के नजदीक आने की प्रवृति हिंसक होने के आसार की होती है।

वन विभाग के द्वारा आसपास के क्षेत्र में गश्त बढाना ओर इस तेंदुए को पकड़ने के लिए कार्यवाही करनी आवश्यक है। क्योंकि क्षेत्र में लगातार हुई घटनाओं के कारण लोगो  में दहशत का माहौल बन गया है।

उत्तराखण्ड सरकार के द्वारा गाँव से पलायन को रोकने हेतु प्रयास किये जा रहे हैं पर जंगली जानवरों की लगातार बस्तियों की तरफ आना कहीं न कहीं विचारणीय प्रश्न है जो कि चिंताजनक भी है। यदि बाघ/तेंदुओं की सँख्या ज्यादा होने से कोई लाभ है या आंकड़ो की बाजीगरी से श्रेष्ठतम प्रदर्शन बाघ/तेंदुओं की संख्या में हुआ इजाफा दिखाना तो पहाड़ के गाँव मे आदमियों की क्या जरूरत, क्यो इन्हें पकड़कर पार्क क्षेत्र में नही छोड़ा जाता। हिंसक जंगली जानवरों को गावँ के नजदीक जाने की सूचना पर इन्हें पकड़कर पार्क क्षेत्र में छोड़ा जाए।

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