हरक सिंह रावत केस में ईडी की बड़ी कार्यवाही के संकेत।
हरक सिंह की सहसपुर स्थित 70 करोड़ रुपए की करीब 101 बीघा भूमि खरीद को ईडी मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा मान सकती है।
विधानसभा उपचुनाव और नगर निकायों के चुनाव में कॉंग्रेस पार्टी के स्टार नेता हरक सिंह ने अपने प्रयाशियों के पक्ष में जिस तरह से हवा बनाई उसको देखकर लग रहा था की अब कांग्रेस को फिर से उबरने की उम्मीद बनेगी और कुछ हद तक उम्मीदें जगी भी। प्रचार प्रसार के समय डॉ हरक सिंह रावत ने बार पलटवार करते हुए जो माहौल बनाया था वह माहौल बनते बनते रह गया जिसके कई कारण हो सकते हैं जिसमें सबसे मुख्य कारण टिकट बंटवारे को लेकर हुई बयानबाजी से असंतुष्टों के द्वारा दिलचस्पी न दिखाना भी विधानसभा उपचुनाव में हारने का कारण रहा।
अब फिर से ED ने बड़ी कार्यवाई की हैं सूत्रों के अनुसार ईडी के द्वारा बड़ी कार्रवाई के संकेत 70 करोड़ की 101 बीघा जमीन की अटैच जो कि ईडी द्वारा दिसंबर 2024 में जांच तेज कर हरक सिंह के परिजनों और करीबियों से पूछताछ करके दी थी। हरक सिंह की सहसपुर स्थित 70 करोड़ रुपए की लगभग 101 बीघा भूमि जिस पर दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस का संचालन जिसका प्रबंधन हरक सिंह के पुत्र तुषित संभालते हैं को प्रारंभिक रूप से अटैच कर लिया है।
सूत्रों के अनुसार कोर्ट ने संबंधित भूमि के विक्रय विलेख रद्द कर दिए जाने के बाद भी पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के करीबी बीरेंद्र सिंह कंडारी और नरेंद्र कुमार वालिया ने हरक सिंह रावत के साथ आपराधिक साजिश करते हुए एक जमीन की 02 पवार ऑफ अटॉर्नी पंजीकृत कराई कोर्ट द्वारा भूमि के खरीद बिक्री पर विलेख रद्द कर दिए जाने के वावजूद भी बावजूद इसके भूमि को अवैध रूप से दीप्ति रावत पत्नी डॉ0 हरक सिंह रावत और करीबी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा को बेचा जाना दिखाया गया। ईडी द्वारा इस प्रकरण में दिसंबर 2024 को हरक सिंह की पत्नी दीप्ति रावत, करीबी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा के साथ ही पुत्र तुषित रावत को पूछताछ के लिए बुला चुकी है। उस दौरान ईडी ने सहसपुर की भूमि को लेकर भी तमाम सवाल किए थे। भूमि खरीद को ईडी अधिकारियों ने मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा माना है ईडी की कार्यवाही से यही लगता है।
कार्बेट पार्क के पाखरो रेंज के घटनाक्रम -
कार्बेट पार्क के पाखरो रेंज के घटनाक्रम पर अबतक की कार्यवाही पर एक नजर - त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के समय 2019 - 20 का है यह मामला।
पेड़ कटान के लिए 163 पेड़ों के कटान की अनुमति ली गयी थी जबकि मौके पर 6000 पेड़ों के कटान का मामला सामने आया।
प्रकरण के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (ntca) के द्वारा निरीक्षण किया गया। इस निरीक्षण के बाद सुप्रीम कोर्ट में यह मामला गया और आरोपपत्र दाखिल हुए।
वन एव पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार व एनजीटी व उत्तराखंड वन विभाग ने इस मामले की जांच की।
मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वतः सज्ञान लेकर सरकार से जबाब माँगा।
मामले के सामने आने पर तत्कालीन पार्क वार्डन जेएस सुहाग को निलंबित किया गया।
कालागढ़ के डीएफओ निलंबित और किशनचंद को गिरप्तार किया गया। पाखरो रेंज के वनाधिकारी ब्रिज बिहारी शर्मा निम्बित और गिरप्तार।
तत्कालीन पीसीसीएफ राजीव भृतहरि को पद से विमुक्त किया गया।