केदारनाथ उपचुनाव के टिकट को लेकर कांग्रेस में रार

केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में कौन होगा कांग्रेस प्रत्याशी,
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 केदारनाथ उपचुनाव के टिकट को लेकर कांग्रेस में रार। ऐसे में तो जीत गए फिर चुनाव।

 सशक्त विपक्ष के आगे इस तरह की रार का होना कांग्रेस पार्टी का संगठन कमजोर होना है। रस्म अदायगी तक सीमित न हो चुनाव।

केदारनाथ उपचुनाव के लिए पार्टी की तरफ से कौन होगा केदारनाथ विधानसभा के लिए उम्मीदवार के लिए पैनल बनांकर रिपोर्ट को प्रदेश संगठन को बाईपास कर सीधे प्रभारी को अपनी रिपोर्ट गणेश गोदियाल द्वारा सौंपने से सवाल उठ रहे हैं कि क्या खुद को संगठन से बड़ा समझने लगे हैं गोदियाल, क्या मनोज रावत को ही टिकट मिले इसलिए उठाया ये कदम,ये सवाल उप चुनाव में अपनी दावेदारी को लेकर ताल ठोकने वाले तमाम दावेदारों ने उठाये हैं।

सबसे बड़ा सवाल है कि आज तक चुनावों के लिए अपनायी गयी प्रक्रिया में कांग्रेस संगठन के द्वारा ही पेनल तैयार करके हाईकमान को भेजने की रीति रही है। पैनल को पर्यवेक्षक सीधे सीधे आलाकमान को नहीं भेजते हैं। किसी भी चुनाव को लड़ाने की रणनीति हो या चयन संगठन को विश्वास में लेकर होता है। क्योंकि चुनाव लड़वाने की जिम्मेदारी संगठन की होती हैं ना कि किसी पर्यवेक्षक की।

 कांग्रेस पार्टी के पर्यवेक्षक के द्वारा हाईकमान को पैनल सौंपने से सबसे बड़ा सवाल ये उठता हैं कि गणेश गोदियाल समेत तमाम पर्यवेक्षकों क्या खुद को प्रदेश संगठन से बड़ा समझने लगे हैं। कार्यकर्ताओं की मनोभावनाओं  को कुचलने से क्या पार्टी अपना संगठन  खड़ा रख पाएगी जब आपसी मतभेद इस तरह से उठने लगेंगे तो मतदाताओं पर इसका क्या असर होगा

विरोध के सुर उठने से खुसर फुसर हो रही कांग्रेस में दावेदार इस बात का विरोध करते रहें हैं कि गणेश गोदियाल को हाईकमान द्वारा पर्यवेक्षक ही गलत बनाया गया हैं। इसका कारण मनोज रावत पूर्व विधायक के साथ उनकी करीबी और मनोज रावत की केदारनाथ को लेकर दावेदारी के बाद  पर्यवेक्षक के रूप में गणेश गोदियाल की नियुक्ति पर सवाल उठाए जा रहें हैं। गणेश गोदियाल द्वारा खुले आम मनोज रावत की पैरवी करना उनकी नियुक्ति किसी भी आधार पर सही नहीं हैं।

पिछले 2 विधानसभा चुनावों पर नजर दौड़ाई जाए तो लगभग 71% वोट पाने वाले तब के उम्मीदवारों ने भाजपा जॉइन कर ली है ओर सशक्त विपक्ष के आगे मजबूत प्रत्याशी ओर संगठन का प्रत्याशी के साथ खड़ा होना आवश्यक है नही तो यह चुनाव कांग्रेस के लिए रस्म अदायगी जैसे न बन जाये।

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