हिमालय की आवाज।
फर्जी डिग्री से शिक्षक बनी 3 महिलाओं को भेजा पुरसाड़ी जेल।
ऐसे कितने फर्जी डिग्री लेकर शिक्षक बने हैं एक बार मे ही डिग्रियों की जांच क्यो नही करवाता शिक्षा विभाग।
जिस विभाग का मुख्य कार्य संस्कार और शिक्षा देना है वहां इस तरह की भर्तियां होना कहीं न कहीं लापरवाही है।
एक ओर सवाल जो शायद चर्चा में नही आता फर्जी डिग्री किसने दी यह जांच का विषय क्यो नही बना अभीतक।
बी एड की फर्जी डिग्री से शिक्षा विभाग मे नौकरी पाने वाली तीन महिलाओं को खानी पड़ी जेल की हवा।
जखोली- लोगो को शिक्षा विभाग मे नौकरी पाने की इतनी बड़ी धारणा रखी हुई है कि बी एड की फर्जी डिग्री पाकर विद्यालयो मे नौकरी हासिल कर रहे है, आखिर लोग क्यो अपनी सारी उम्र भर की मेहनत को पलीता लगा रहे है। उत्तराखंड के अन्दर ऐसे ही सैकड़ों फर्जी डिग्रियो का मामला हर रोज देखने को मिल रहा है।
आपको बता दे कि जनपद मै कार्यरत शिक्षका माया बिष्ट, सरोज मेवाड़, और संगीता राणा ने फर्जी डिग्री के आधार पर तो शिक्षा विभाग मे बड़ी सरलता से नौकरी तो पा ली लेकिन अब उन तीनो को फर्जी डिग्री पर नौकरी पाने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
शिक्षा विभाग के एस आई टी एवं विभागीय जाँच के अनुसार तीनो महिलाओं की डिग्री पूर्ण रूप से फर्जी पायी गयी है। इन तीनो अध्यापिकाओं को अलग अलग फौजदारी मामले मे बीएड की फर्जी डिग्री पर नौकरी पाने पर उनकी डिग्री को का सत्यापन कराया गया।
सत्यापन के दौरान चौधरी चरण सिह विश्व विद्यालय मेरठ से जाँच आख्या प्राप्त करायी गयी। जिसमे तीनो महिलाओ की डिग्री फर्जी पायी गयी, इनकी कोई भी बी एड की डिग्री जारी नही हुई थी।
शासन स्तर से एसआईटी जांच भी कराई गई, जिसके आधार पर शिक्षा विभाग रुद्रप्रयाग ने तीनों शिक्षिकाओं के विरूद्ध मुकदमा पंजीकृत कराया। फर्जी शिक्षिकाओं को तत्काल निलंबित कर तत्पश्चात बर्खास्त किया गया और सीजेएम न्यायालय के समक्ष विचारण हुआ।
गैर जिम्मेदार शिक्षा अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही के निर्देश
बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी पाने वाले तीन महिला शिक्षिकाओं को अलग-अलग मामलों में पांच-पांच वर्ष का कठोर कारावास की सजा सुनाते हुए दस हजार रूपये जुर्माने से दंडित किया गया। जुर्माना अदा ना करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी के न्यायालय ने फर्जी शिक्षिकाओं को फर्जी बीएड की डिग्री के आधार पर छल व कपट से नौकरी प्राप्त करने पर दोषी करार पाते हुए अभियुक्ताओं को धारा 420 भारतीय दंड संहिता, 1860 के अन्तर्गत पांच-पांच वर्ष का कठोर कारावास की सजा तथा दस हजार रूपये जुर्माने से दंडित किया।
जुर्माना अदा ना करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी तथा धारा 471 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अन्तर्गत दोषसिद्ध पाते हुए दो वर्ष का कठोर कारावास व पांच हजार रूपये जुर्माने से दंडित किया गया एवं जुर्माना अदा ना करने पर एक माह का अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतना होगा।
दोषसिद्ध महिला अध्यापकों माया बिष्ट, सरोज मेवाड़ एवं संगीता राणा को न्यायिक अभिरक्षा मे लेकर दंडादेश भुगतने को लेकर जिला कारागार पुरसाड़ी भेजा गया। राज्य सरकार की ओर से मामले की प्रभावी पैरवी अभियोजन अधिकारी प्रमोद चन्द्र आर्य ने की। फर्जी महिला शिक्षकों के साथ ही सचिव शिक्षा, सचिव गृह देहरादून को भी शिक्षा विभाग के गैर जिम्मेदार शिक्षा अधिकारियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही अमल में लाने के लिए पत्र प्रेषित करने के लिए निर्देशित किया गया।
कहा गया कि शिक्षा विभाग ने बिना सत्यापन के फर्जी शिक्षकों को सेवा में नियुक्ति के अलावा स्थायीकरण भी दिया और प्रोन्नति भी बिना जांच पड़ताल के प्रदान की, जिससे शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही उजागर हुई।