तिलवाड़ा में रँगारँग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के साथ मनाई गई हरियाली तीज।
महिला साहित्यिक कला मंच के बैनर तले भव्य कार्यक्रम का आयोजन।
हरियाली तीज परम्परा का लोक जीवन मे साथ होने का कारण खुशहाली ही होगा चाहे प्रकृति से इसे जोड़े या भगवान शंकर को माँ पार्वती द्वारा वर रूप में पाने की कथा से जोड़ें सभी का सार खुशहाली ही है ओर भारतीय परम्परा में अपने भगवान की किसी लीला हो या प्रसंग उसे आत्मसात करने या प्रकृति के प्रति सम्मान की भावना अभिन्न अंग हैं। अच्छाई को आत्मसात करने की भावना ही भारतीयता है और यह हमारे लिए गौरव की बात है कि हम उस संस्कृति के पोषण में पले बढ़े जो वसुदेव कुटुम्बकम की भावना से ओत प्रोत है।
हरियाली तीज भगवान शिव और देवी पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला एक त्योहार है। यह त्योहार श्रावण मास में शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन मनाया जाता है। हरियाली तीज को प्रेम, सौंदर्य और प्रकृति का पर्व माना जाता है।
हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है, इसके पीछे कई मान्यताएं हैं-
भगवान शिव और देवी पार्वती का पुनर्मिलन:-
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। हरियाली तीज इसी पुनर्मिलन का जश्न है।
प्रकृति का उत्सव:-
हरियाली तीज सावन के महीने में मनाई जाती है, जब चारों तरफ हरियाली होती है। यह त्योहार प्रकृति के उत्सव और खुशहाली का भी प्रतीक है।
इस अवसर पर आज जनपद रुद्रप्रयाग में विकासखण्ड जखोली के सुमाड़ी तिलवाडा में महिला साहित्यिक कला मंच की संस्थापक श्रीमती विमला राणा के द्वारा हरियाली तीज कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि नगर पंचायत तिलवाड़ा की अध्यक्ष श्रीमती विनीता देवी द्वारा दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
ग्राम सुमाड़ी, छतोली, तिलवाडा, गीड़, मठियाणा से आई कीर्तन मण्डलियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम में लोकगीत, लोकनृत्य, झुमैलो आदि की प्रस्तुतियां दी गयी। पहाड़ की कामकाजी महिलाओं को मंच देने का कार्य श्रीमती विमला राणा जी द्वारा प्रतिभाओं को उभारने हेतु निरंतर दिया जा रहा है जिसके लिए हिमालय की आवाज़ न्यूज पोर्टल आपके स्वस्थ और समृद्ध जीवन की मंगल कामना करता है।