घास लेने गयी महिला की चट्टान से फिसलकर दर्दनाक मौत।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने वाली योजनाओं की घोषणा में पहाड़ में घास की समस्या का समाधान कब होगा सम्मिलित।
चमोली:- पहाड़ का दर्द पहाड़ की नारी शक्ति से ज्यादा कौन जानता है जिन्होंने अपना जीवन उस पहाड़ को हरा भरा ओर सजीव बनाये रखने में न्योछावर कर दिया जिसमें जबाबदेही के साथ दायित्वों की भरमार के बोझ को बोझ न समझकर अपना कर्तव्य समझा।
नारायणबगड़- ग्वाड गडसिर गांव की कृष्णा देवी (36) की चट्टान से फिसलकर दर्दनाक मौत हो गई। इससे गांव में कोहराम मच गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मनवीर सिंह की पत्नी कृष्णा देवी जंगल में घास लेने गई थी। घास काटते समय चट्टान से फिसलकर खाई में जा गिरी ओर मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
सूचना मिलते ही डीडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और शव को रेस्क्यू कर निकाला। गांव की अन्य महिलाएं भी उसके संग घास काटने गई थी। महिलाओं ने ग्रामीणों को तत्काल सूचना दी। ग्रामीणों ने तत्काल तहसील प्रशासन को सूचना देकर मदद की गुहार लगाई।
राजस्व पुलिस और डीडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और खाई से महिला का शव बरामद किया। मौके पर पहुंचे उपजिलाधिकारी पंकज भट्ट ने बताया कि मृतक महिला के शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए उपजिला अस्पताल कर्णप्रयाग भेजा गया।
पोस्टमार्टम के बाद गमगीन माहौल में मृतका की अंत्येष्टि कर ली गई। इस घटना से परिजनों समेत ग्रामीणों में मातम पसर गया है। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है।
वर्तमान में पहाड़ों के गावों में अधिकतर महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग हैं। रोजगार का साधन न होने के कारण पुरुष वर्ग अपने रोजगार की तलाश में पलायन कर गए।
उत्तराखण्ड की स्थापना पहाड़ों की समस्याओं के निराकरण हुआ था जो अपने गठन के उद्देश्य के कभी करीब गया ही नही। नीति नियन्ताओं के द्वारा की गई अनदेखी के चलते पहाड़ जो कभी प्राकृतिक रूप से सुंदर होने के साथ ही इसकी गोद मे बसे गावँ खुशहाल थे। आज स्थिति यह है कि गाँव के गावँ पलायन की विभीषिका से जूझ रहे हैं और पहाड़ों की रौनक अब वीरान होती जा रही है।