नींबू के पौधों पर आया जम्बीरी फल किसान को है प्रतिकर का इन्तजार।

उद्यान विभाग के द्वारा दिये नींबू पौध पर लग रही जाम्बिरी,
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 नींबू के पौधों पर आया जम्बीरी फल किसान को है प्रतिकर का इन्तजार।

जनपद रुद्रप्रयाग के सेना गड़सारी में  नींबू प्रजाति के उद्यान लगाने पर सांमने आया मामला।

रुद्रप्रयाग। अगस्त्यमुनि विकासखंड के क्यूंजा घाटी के सेरा-गड़सारी गांव में कागजी नींबू की पौध पर जम्बीरी फल आने के मामले में कृषि मंत्री गणेश जोशी ने जिलाधिकारी को जांच के आदेश दिए हैं। जांच आदेश निर्गत हुए तीन माह से अधिक का समय होने को ही पीड़ित किसान का अभी तक नहीं हुआ प्रतिकर निर्धारण।

सेरा-गड़सारी गांव में काश्तकार मानवेंद्र सिंह नेगी ने विशेष योजना के तहत चार वर्ष पहले उद्यान विभाग से कागजी नींबू की 125 पौध खरीदी थीं। उन्होंने 25 नाली भूमि पर यह पौधे लगाई थीं। रोपित पौधों में 113 पौध स्वस्थ्य रहीं जो इस वर्ष फल देने लगीं। मगर इन पौधों पर कागजी नींबू के बजाय जम्बीरी का फल आया।

उनका कहना है कि उद्यान विभाग को भी अवगत कराने पर सुध नहीं ली गई। इस मामले को अमर उजाला ने 26 नवंबर के अंक में 'रोपे कागजी नींबू के पौधे फल आया जम्बीरी का' शीर्षक के साथ प्रमुखता से प्रकाशित किया। खबर का संज्ञान लेते हुए कृषि मंत्री गणेश जोशी ने पत्रांक 15454/वी आइ पी दिनांक 28 नवम्बर 2025 को सचिव उद्यान को पत्र लिखकर जांच के आदेश दिए हैं इधर, सचिव उद्यान ने मामले में जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग को जांच अधिकारी नामित करते हुए एक सप्ताह में जांच आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।  जिसमें की उद्यान विभाग के कर्मचारियों ने आकर निरीक्षण किया पर उसके बाद आगे की कार्यवाही क्या हुई यह पता नही चल पाया।


 काश्तकार श्री मानवेन्द्र सिंह का कहना है कि उद्यान विभाग केवल जांच चलने की बात कर रहा है किन्तु मुझे जो आर्थिक मानसिक व शारीरिक क्षति विगत चार पांच वर्षों में हुई है उसकी भरपाई/ मुवावजे की बात नहीं हो रही है अभी तक मेरे मुवावजे का निर्धारण के सम्बन्ध में पूछा तक नहीं  गया है।

इस प्रकरण पर उद्यान विशेषज्ञ डा० राजेन्द्र कुकसाल का कहना है कि उत्तराखंड फल पौधशाला अधिनियम 2019 के परिशिष्ट -1 में स्पष्ट उल्लेख है कि "जिन पौधों का पौधशाला स्वामी द्वारा विक्रय या वितरण किया जायेगा वह उसी प्रजाति के होंगे  अन्यथा किसान के समस्त प्रतिकरों का वहन पौधशाला स्वामी द्वारा किया जायेगा। प्रतिकर का निर्धारण अनुज्ञप्ति प्राधिकारी अथवा उनके द्वारा नामित मुख्य / जिला उद्यान अधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा किया जाएगा।

वर्णित प्रकरण में  उत्तराखंड फल पौधशाला (रेगुलेशन) (अनमैन्डमैन्ट) बिल 2021 की धारा 19 (2) के अनुसार  जनपद के माननीय फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट के न्यायालय में वाद दायर किया जा सकता है।

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