पांच वर्ष के मासूम को आंगन से उठा ले गया गुलदार।
रक्षाबन्धन के लिए मां के साथ आया था अपनी नानी के घर।
जनपद पौड़ी के विकासखंड रिखणीखाल के ग्राम पंचायत गुठेरथा की तोक कोटा गावं में पांच साल के बच्चे आदित्य पुत्र देवेंद्र सिंह को गुलदार घर के आंगन से उठाकर ले गया। आदित्य अपनी मां के साथ रक्षाबंधन पर्व पर नानी के घर आया था। मासूम को गुलदार उठाकर ले जाने की घटना के बाद से परिजनों में कोहराम मचा है। पुरे क्षेत्र में इस घटना के बाद शोक की लहर छा गयी व लोग अपने नौनिहालों को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं।
मासूम को गुलदार उठाने की घटना के बाद गुठेरथा समेत आसपास के सैकड़ों ग्रामीण बच्चे की तलाश में जंगल और पूरा इलाका छान रहें हैं। ग्राम प्रधान मीनाक्षी देवी ने बताया कि रक्षाबंधन पर्व पर महिला सोमवार सुबह अपने पांच साल के बेटे को लेकर अपने मायके कोटा गांव आई थी। पूरे परिवार और गांव वालों के साथ मिलकर उन्होंने राखी का पर्व मनाया। शाम करीब सात बजे घर के पास घात लगाकर बैठे गुलदार ने बच्चे पर हमला कर दिया और जबडे़ में दबोचकर झाड़ियों में लापता हो गया। जिसके बाद परिजनों शोर मचाया तबतक गुलदार आँखों से ओझल हो गया। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस, प्रशासन के लोग गांव में पहुंच गए हैं और संभावित स्थानों पर खोजबीन की जा रही है।
गुलदार के द्वारा मासूम को उठाने की घटना की लैंसडौन की तहसीलदार शालिनी मौर्य सूचना ग्रामीणों ने दी। घटना की सूचना पर उपजिलाधिकारी ने रिखणीखाल के थानाध्यक्ष संतोष कुमार को घटनास्थल पर पहुंचने के निर्देश दिए। घटना की जानकारी के बाद आसपास के सैकड़ों लोग बच्चे की तलाश में जुट गए हैं । सोमवार सुबह अर्चना का पति देवेंद्र सिंह उन्हें अपने वाहन से कोटा गांव के मुख्य मार्ग पर छोड़ गया था। मंगलवार सुबह उन्हें वापस उनेरी गांव लौटना था। रिखणीखाल के कानूनगो प्रीतम सिंह ने बताया कि घर से करीब डेढ़ किमी दूर झाड़ियों में बच्चे का एक पैर मिला है। अब उसके बचे होने की उम्मीद कम ही है जिसपर तलाश जारी है। घटना के बाद क्षेत्र में दहशत बनी हुई है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के पास काफी दिनों से एक गुलदार दिखाई दे रहा था। सोमवार को घटना से करीब आधा घंटा पहले भी गांव लौट रहे ग्रामीणों को रास्ते में गुलदार दिखा था।
मानव वन्य जीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओ के कारण लगातार सामने आ रही घटनाओं के कारण लोग स्वयं असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। मानव वन्य जीव की घटनाओ का बढ़ना चिंताजनक है इसके लिए पहाड़ में जो कास्तकारी करना छोड़ा गया है वह भी बहुत बड़ा कारक मानव वन्य जीव संघर्ष के लिए उत्तरदायी है।


