रामरतन पवांर/गढ़वाल ब्यूरो
शिक्षा विभाग की उदासीनता के चलते ग्राम पंचायत त्यूंखर के दोनो प्राथमिक विद्यालयों मे बच्चों के बैठने के लिए नही दिया गया फर्नीचर।
दिसंबर-जनवरी जैसे भारी सर्दी वाले स्थान मे स्थित इन विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को कड़कड़ाती ठंड मे जमीन पर बैठकर करनी पड़ती है शिक्षा ग्रहण।
एक तरफ संसाधनों के अभाव में सरकारी विद्यालयों में छात्र सँख्या निरन्तर गिर रही है और आलम यह है कि कई विद्यालयों ओर ताले लटक गई हैं दूसरी तरह ऐसे विद्यालय जहां छात्र संख्या अच्छी है वहां विभाग की नींद नही खुल रही।
जखोली-सरकार जनता को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के विभिन्न जनहितैषी योजनाओं के माध्यम से हर साल करोड़ों रु का बजट खर्च कर रहा है। बजट का एक हिस्सा शिक्षा के क्षेत्र मे खर्च किया जा रहा है।
लेकिन इसके बावजूद भी शिक्षा के क्षेत्र मे कोई ठोस सुधार नही हो पाया है,लेकिन अधिकांश स्कूलो मे आज भी अच्छे भवन, बिजली, पेयजल सुविधा सहित बच्चों के लिए बैठने के लिए फर्नीचर की सुविधा उपलब्ध नही है। जिस कारण से आज अधिकांश स्कूल इन मूल भूत समस्याओं से जूझ रहे है।
लेकिन इनकी सुनवाई शासन और प्रशासन स्तर पर नही हो रही है।विदित हो कि विकासखंड जखोली के ग्राम पंचायत त्यूंखर मे वर्तमान समय मे दो राजकीय प्राथमिक विद्यालय है, जो एक नवदेव आगर तोक मे स्थित है और दूसरा विद्यालय जो कि त्यूंखर गांव के एस सी बस्ती के समीप व गाँव का सबसे पुराना स्कूल है। दोनो स्कूलो की छात्र संख्या 58-58 है यानी कुल मिलाकर दोनो की छात्र संख्या 116 है।
इन दोनो स्कूलो मे आज दिवस तक बच्चों को बैठने के लिए शिक्षा विभाग ने फर्नीचर उपलब्ध नही करवाया,जिस कारण से इन विद्यालयों के छात्रो को जमीन पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है। ये दोनो स्कूल ऐसे जगह स्थित है जहाँ सर्दियों मे कड़ाके की ठंड पड़ती है तथा भंयकर बर्फ व पाला भी गिरता है।
ऐसी स्थिति मे छात्र छात्राएं जमीन मे बैठने को मजबूर हैं जबकि बच्चों के लिए बैठने के लिए कुर्सी मेज की अतिआवश्यकता थी, लेकिन शिक्षा विभाग ने इन स्कूलो को फर्नीचर देना मुनासिब नही समझा, आखिर शिक्षा विभाग क्यो इतना लापरवाह बना है।


