आखिर कौन थे महाराणा कुम्भा

राणा कुंभा वही है जिन्होंने मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी को सारंगपुर युद्ध मे मात्र 6 घण्टे में हराकर कैद कर लिया, उसके बाद महमूद खिलजी को 6 महीने,
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 रामरतन सिह पवांर/गढ़वाल ब्यूरो


आखिर कौन थे महाराणा कुम्भा


कुम्भा के बारे मे कम लोगो को है जानकारी।

राजस्थान के शासकों मे राणा कुम्भा जिनके बारे में प्रचलित है कि सर्वश्रेष्ठ शासक थे राणा कुम्भा।

 इतिहास की किताबो में आपको  बहुत कम जानकारी मिलेगी, आपकी जानकारी के लिए बता दे कि राणा कुम्भा राजस्थान के शासकों मे एक सर्वश्रेष्ठ थे। 

  मेवाड़ के आस पास जो उद्वत थे, उन पर उन्होने अपना आदिपत्य स्थापित कर लिया था। 35 बर्ष की अल्पआयु मे मे उनके द्वारा बनाए गये चालीस दुर्गो मे चितौड़गढ़, कुम्भलगढ़, अचलग, जहाँ सशक्त स्थापत्य मे शीर्षस्थ है,  वही इन पर्वत दुर्गो मे चमत्कृत करनेवाले वाले देवालय भी हैं। उनकी विजयो का गुणगान करता विश्वविख्यात विजय स्तमभ भारत की अमृत धरोहर है।

    कुम्भा का इतिहास केवल युद्धों मे विजय तक सिमित नही है बल्कि उनकी शक्ति और संगठन क्षमता के साथ साथ उनकी रचनात्मकता भी आशचार्य जनक थी। साथ ही राणा कुम्भा  वामपंथी और सेकुलर इतिहासकार भी थे। ऐसे इतिहासकारों के बारे  वर्तमान सरकार भी नही चाहती कि हमारी आने वाली पीढ़ी भारत के अद्वितीय योद्धाओं के बारे में कुछ भी जाने।

  उनको तो मुगल और आज नए इतिहास के नाम पर भी भारत सरकार लुटेरे पेशवाओं का इतिहास को ही बढ़ावा दे रही है।

राणा कुंभा वही है जिन्होंने मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी को सारंगपुर युद्ध मे मात्र 6 घण्टे में हराकर कैद कर लिया, उसके बाद महमूद खिलजी को 6 महीने अपनी जेल में रखा और हर्जाना भरने के बाद और स्वयं को मेवाड़ के अधीन सौंपने के बाद ही छोड़ा।

इसी विजय के बाद मेवाड़ में विजय स्तम्भ राणा कुंभा ने ही बनवाया था ।

एक बार फिर महमूद खिलजी और गुजरात के शासक कुतब शाह, नागौर राज्य की सेनाएं और सिरोही की सेनाओ ने मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया, राणा कुंभा और चारो सेनाओं के बीच बदनौर में जमकर युद्ध हुआ और राणा कुंभा ने इन चारों सेनाओ को मात्र कुछ घण्टो में फिर हरा दिया।

इतिहासकारो ने तो इसे सदी का सबसे बड़ा युध्द भी कहा था लेकिन इस युद्ध को इतिहास की किताबो में कभी जगह नही मिली।

आज तो कथित हिंदूवादी सरकार है फिर भी क्यो किताबो से इन महान योद्धा को बाहर रखा जा रहा है, राणा कुंभा ने हिन्दू जैन मंदिरों की बहुत बड़ी श्रंखला बनवाई लेकिन तब भी उन्हें न जाने क्यो किताबो में स्थान नही मिला।

चीन की दीवार के बाद अगर विश्व की कोई लंबी दीवार है तो वह कुम्भलगढ़ किले की दीवार है जिसे राणा कुंभा ने ही निर्माण करवाया था।

ये दोगलापन इस सरकार में भी लगातार जारी है।

क्षत्रियों से ईर्ष्या करने वाला समूह लगातार अपना कार्य कर रहा है और अपने एजेंडे में काफी हद तक सफल भी हो रहा है।

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