अगस्त्यमुनि स्टेडियम विवाद:- दूसरे दिन भी भारी हंगामा।
जेसीबी के आगे लेटे ग्रामीण, पुलिस से तीखी नोकझोंक।
अगस्त्यमुनि (रुद्रप्रयाग)। अगस्त्यमुनि में प्रस्तावित स्पोर्ट्स स्टेडियम का विरोध अब आर-पार की जंग में तब्दील हो गया है। आंदोलन के दूसरे दिन मंगलवार को प्रशासन और ग्रामीणों के बीच जमकर टकराव हुआ। प्रशासन द्वारा मुख्य गेट बंद कर अंदर निर्माण कार्य शुरू कराने से भड़के ग्रामीणों ने न केवल गेट खुलवाने के लिए पुलिस से धक्का-मुक्की की, बल्कि दीवार फांदकर अंदर घुसकर मशीनों का चक्का जाम कर दिया।
गेट बंद कर कार्य कराने पर भड़का आक्रोश
प्रशासन ने मंगलवार सुबह स्टेडियम का मुख्य गेट बंद कर अंदर निर्माण कार्य शुरू करवाया। इसकी सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में ग्रामीण और आंदोलनकारी मौके पर जुट गए। गेट बंद देख ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाकर और जनता की भावनाओं को कुचलकर जबरन काम कर रहा है।
पुलिस से धक्का-मुक्की, जेसीबी के आगे धरना
मुख्य गेट पर पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच काफी देर तक तीखी नोंक-झोंक और धक्का-मुक्की होती रही। जब पुलिस ने गेट नहीं खोला, तो आंदोलनकारी दूसरे रास्तों से निर्माण स्थल के भीतर घुस गए। आक्रोशित ग्रामीण सीधे चल रही जेसीबी मशीन के सामने खड़े हो गए और वहीं धरने पर बैठ गए। इस विरोध के कारण प्रशासन को काम रोकना पड़ा।
"आस्था से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं"
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे त्रिभुवन चौहान, अनिल बैंजवाल और अन्य नेताओं ने स्पष्ट किया कि यह मैदान केवल एक जमीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि अगस्त्य ऋषि से जुड़ा एक पवित्र, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है।
"यह मैदान सदियों से हमारी आस्था और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। बिना जनसहमति के यहां कंक्रीट का ढांचा खड़ा करना हमारी परंपराओं पर हमला है। जब तक निर्माण कार्य पूरी तरह बंद नहीं होता, आंदोलन जारी रहेगा।" — आंदोलनकारी समूह
प्रशासन का पक्ष
मौके पर मौजूद तहसीलदार ने बताया कि स्टेडियम का निर्माण शासन की स्वीकृति और मानकों के अनुसार ही किया जा रहा है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेज दी गई है, जिनके निर्देशों के बाद ही आगामी कार्रवाई की जाएगी।
आंदोलन में शामिल प्रमुख चेहरे: त्रिभुवन चौहान, अनिल बैंजवाल, राजेश बैंजवाल, भूपेंद्र बैंजवाल, उदयप्रताप सिंह, वैष्णी देवी सेमवाल, ऊमा कैतुरा, दीपा देवी और सर्वेश्वरी गुसाईं सहित सैकड़ों ग्रामीण।


