जंगली जानवरों का आतंक

जनप्रतिनिधियों ने की जंगली जानवरों से क्षेत्र में सुरक्षा की मांग,
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जखोली में जंगली जानवरों का आतंक: जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से लगाई सुरक्षा की गुहार।

 पिंजरे लगाने और स्कूली बच्चों हेतु वाहन की मांग।

जखोली (रुद्रप्रयाग)। जनपद के विकासखण्ड जखोली में जंगली जानवरों, विशेषकर भालू, गुलदार और बाघ के बढ़ते हमलों ने ग्रामीणों की रातों की नींद उड़ा दी है। क्षेत्र में लगातार हो रही हिंसक घटनाओं से आक्रोशित जनप्रतिनिधियों ने उपजिलाधिकारी (SDM) को ज्ञापन सौंपकर तत्काल सुरक्षात्मक कदम उठाने की मांग की है।

ग्रामीणों में भय का माहौल, जान-माल का खतरा

जनप्रतिनिधियों ग्राम प्रधान मयाली रजनी देवी, ग्राम प्रधान मखेत रेखा देवी, ग्राम प्रधान ललूड़ी ज्योति, ग्राम प्रधान घरडा रामेश्वरी देवी, ग्राम प्रधान देवल नरेंद्र पन्त, उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी सुरेंद्र प्रसाद सकलानी आदि द्वारा सौंपे गए पत्र में उल्लेख किया गया है कि जखोली ब्लॉक की लगभग हर ग्राम पंचायत में जंगली जानवरों की सक्रियता बनी हुई है। आए दिन मवेशियों पर हमले हो रहे हैं और इंसानों के साथ भी संघर्ष की स्थिति बनी हुई है। पत्र में बताया गया है कि पूर्व में बाघ के हमले में तीन महिलाओं की जान जा चुकी है और कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं, जिनकी स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है।

बच्चों की सुरक्षा को लेकर बड़ी चिंता

क्षेत्रीय जनता में सबसे अधिक डर स्कूली बच्चों को लेकर है। जंगली जानवरों के डर के कारण बच्चों का विद्यालय जाना असुरक्षित हो गया है। अभिभावक बच्चों को अकेले स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं।

जनप्रतिनिधियों की प्रमुख मांगें:

स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से निम्नलिखित बिंदुओं पर त्वरित कार्रवाई की मांग की है:

  • पिंजरे और घेराबंदी: ग्राम पंचायत स्तर पर संवेदनशील और खतरनाक स्थानों को चिह्नित कर वहां तत्काल पिंजरे लगाए जाएं।

  • स्कूली बच्चों हेतु वाहन: बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए खंड शिक्षा अधिकारी और आंगनबाड़ी केंद्रों को निर्देशित कर बच्चों के आवागमन हेतु सुरक्षित वाहन व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

  • विभागीय गश्त: संबंधित विभाग के अधिकारियों को क्षेत्र में निरंतर गश्त और निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए जाएं।

सामूहिक समर्थन

इस मांग पत्र पर क्षेत्र के विभिन्न ग्राम प्रधानों और जनप्रतिनिधियों के हस्ताक्षर और मुहर अंकित हैं, जो समस्या की गंभीरता को दर्शाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते उचित कदम नहीं उठाए, तो भविष्य में कोई बड़ी जनहानि हो सकती है।


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