रुद्रप्रयाग में वन उपज से आजीविका संवर्धन पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित।
स्थानीय उत्पादों से आय सृजन की तैयारी के साथ चारधाम यात्रा से स्थानीय हुनरमंदों के उत्पाद को जोड़ने की तैयारी।
रुद्रप्रयाग। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के दक्षिणी जखोली रेंज में एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। R.D.F. (Restoration of Degraded Forest) योजना के तहत दरमोला ग्राम सभा में ग्रामीणों के लिए "वन उपज से आजीविका संवर्धन" विषय पर तीन दिवसीय गहन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है, जो 9 दिसंबर से 11 दिसंबर 2025 तक चलेगी।
स्थानीय उत्पादों से आय सृजन की तैयारी
उप प्रभागीय वनाधिकारी डॉ. दिवाकर पन्त ने इस पहल के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कार्यशाला का मुख्य लक्ष्य ग्रामीणों को स्थानीय वन उपज, जैसे पिरूल, छेंती, बांस और घास का रचनात्मक उपयोग सिखाना है। प्रशिक्षण में ग्रामीणों को राखी, सजावटी उत्पाद, कलाकृतियाँ, टोकरी, पेन होल्डर और फ्लावर पॉट जैसे विभिन्न हस्तशिल्प उत्पाद बनाने का व्यावहारिक ज्ञान दिया जा रहा है।
वनाग्नि रोकथाम में सहायक
प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे ग्रामीणों ने इस कदम पर गहरा उत्साह व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला न केवल उनकी आजीविका संवर्धन में सहायक सिद्ध होगी, बल्कि वन में बहुतायत में पाए जाने वाले पिरूल (चीड़ की पत्तियाँ) का उचित उपयोग होने से वनाग्नि की रोकथाम में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
चारधाम यात्रा मार्ग पर उत्पादों की बिक्री से उच्च आय की संभावना
अधिकारियों का मानना है कि चारधाम यात्रा के केंद्र बिंदु रुद्रप्रयाग में इन स्थानीय और आकर्षक उत्पादों की बिक्री की उच्च संभावना है। यह पहल न केवल रोजगार सृजन को बढ़ावा देगी, बल्कि पर्यावरण सुरक्षा को भी सुनिश्चित करते हुए एक स्थायी आजीविका मॉडल स्थापित करेगी।
इस अवसर पर उप प्रभागीय वनाधिकारी डॉ. दिवाकर पंत, वन क्षेत्राधिकारी हरीश थपलियाल, गोविंद सिंह चौहान वन आरक्षी, वन आरक्षी संजय सिंह, रणवीर सिंह भण्डारी, संगीता किमोठी, शशी गुसाईं, इंदु नोटियाल, पूनम देवी, कमला देवी, सपना देवी सहित बड़ी संख्या में प्रशिक्षार्थी महिलाएं उपस्थित रहीं। यह कार्यशाला स्थानीय संसाधनों का सदुपयोग कर स्वावलंबन की दिशा में एक सशक्त कदम है।


