LUCC गबन से त्रस्त पीड़ितों का अनिश्चितकालीन धरना 228वें दिन भी जारी, CBI जांच के बावजूद न्याय की आस अधूरी।
श्रीनगर गढ़वाल। श्रीनगर/देहरादून। उत्तराखंड के इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक, लोनी अर्बन मल्टी-स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी (LUCC) द्वारा किए गए करोड़ों रुपये के महा-गबन के खिलाफ पीड़ितों का संघर्ष आज भी जारी है। पौड़ी जिले के श्रीनगर गढ़वाल में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन आज 228वें दिन में प्रवेश कर चुका है। श्रीनगर और आसपास के क्षेत्रों के पीड़ित बारी-बारी से इस धरने में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, जो उनकी निराशा और न्याय की अटूट मांग को दर्शाता है।
आर्थिक तबाही और सामाजिक विखंडन
LUCC ने उत्तराखंड के लगभग 25 लाख निवेशकों से सैकड़ों करोड़ रुपये की ठगी की, जिसकी अनुमानित राशि ₹800 करोड़ तक हो सकती है। उच्च रिटर्न के लालच में अपनी गाढ़ी कमाई गंवाने वाले इन पीड़ितों में बड़ी संख्या में मातृशक्ति, पूर्व सैनिक, और गरीब तबके के लोग शामिल हैं। इस ठगी ने न केवल उनकी आर्थिक नींव को ध्वस्त किया है, बल्कि उनके सामाजिक जीवन पर भी गहरा आघात पहुँचाया है। कई एजेंटों और निवेशकों ने अपने रिश्तेदारों, पड़ोसियों, और दोस्तों का पैसा भी कंपनी में लगवाया था, जिसके चलते अब उन्हें सामाजिक बहिष्कार और टूटे हुए रिश्तों का दंश झेलना पड़ रहा है। कई पीड़ित महिलाएं सार्वजनिक रूप से रोते हुए यह बयां कर चुकी हैं कि वे अब अपनों से आँखें नहीं मिला पा रही हैं और समाज से अलग-थलग पड़ गई हैं।
व्यापक आंदोलन और सरकार पर दबाव
धन वापसी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर LUCC पीड़ितों का आंदोलन श्रीनगर गढ़वाल तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह कोटद्वार, पौड़ी, रुद्रप्रयाग और देहरादून जैसे प्रमुख शहरों तक फैल चुका है। पीड़ितों ने एकजुट होकर नारेबाजी के साथ सड़कों पर प्रदर्शन किया, रैलियां निकालीं और कई बार देहरादून में मुख्यमंत्री आवास तक कूच करने का प्रयास किया, जहां उन्हें पुलिस की सख्ती का सामना भी करना पड़ा। आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उन्हें अपनी पीड़ा बताई और मामले की त्वरित जांच व धन वापसी की गुहार लगाई, जिससे राज्य सरकार पर निर्णायक कार्रवाई करने का दबाव बढ़ा।
सरकारी कार्रवाई: CBI जांच और धीमी प्रगति
जन आक्रोश और लगातार विरोध के चलते, उत्तराखंड सरकार ने इस बड़े घोटाले की जांच को अंततः केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने की संस्तुति की है। इससे पहले, पुलिस और CB-CID ने जांच करते हुए कई शाखा प्रबंधकों और कुछ लोगों को गिरफ्तार किया, 10 से अधिक मामलों में चार्जशीट दाखिल की और आरोपियों की चल-अचल संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई शुरू की, लेकिन मुख्य आरोपी (समीर अग्रवाल) अब भी दुबई में बैठकर निवेशकों को ठेंगा दिखा रहा है, जिसके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर नोटिस जारी किया गया है। पीड़ितों का आरोप है कि कंपनी के पंजीकृत न होने के बावजूद इसे काम करने दिया गया, जो शासन-प्रशासन की मिलीभगत की ओर इशारा करता है। सीबीआई जांच का आदेश एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन आंदोलनकारी अब भी इस बात से चिंतित हैं कि जांच की गति धीमी है और जब तक मुख्य आरोपी को वापस नहीं लाया जाता और उनकी संपत्ति नीलाम कर धन वापसी की प्रक्रिया शुरू नहीं होती, तब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा।जबतक न्याय नहीं मिल जाता, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। पीड़ित अब राज्य सरकार से अविलंब हस्तक्षेप कर, सीबीआई जांच में तेजी लाने और उनकी डूबी हुई मेहनत की कमाई लौटाने की अपील कर रहे हैं।
आज श्रीनगर पीपलचोंरी धरना स्थल पर बीना देवी, जशोदा पटवाल, सोनी रावत, बबीता, कल्पना, ऊषा रावत, कंचन व हैपी उपस्थित रहे।


