गुलदार का आतंक: रुद्रप्रयाग के जोंदला पाली गांव में ग्रामीण की मौत, वन विभाग ने दी त्वरित आर्थिक सहायता।
अगस्त्यमुनि विकासखण्ड में मानव-वन्यजीव संघर्ष की दर्दनाक घटना; प्रशासन और वन विभाग अलर्ट मोड पर।
रुद्रप्रयाग: जनपद रुद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि विकासखण्ड के जोंदला पाली गांव में आज सुबह गुलदार के हमले में एक 55 वर्षीय ग्रामीण की दर्दनाक मृत्यु हो गई। यह घटना एक बार फिर उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष (Human-Wildlife Conflict) के बढ़ते खतरे को रेखांकित करती है।
ग्राम प्रधान पाली मल्ली से मिली जानकारी के अनुसार, मृतक श्री मनवर सिंह बिष्ट (उम्र लगभग 55 वर्ष) आज सुबह लगभग 5 बजे अपने घर से गौशाला की ओर जा रहे थे। जब काफी देर तक वह घर नहीं लौटे, तो परिजनों ने उनकी खोजबीन शुरू की। खोज के दौरान उनका शव गौशाला से कुछ दूरी पर नापखेत क्षेत्र में क्षत-विक्षत अवस्था में बरामद हुआ। प्रथम दृष्टया यह हमला गुलदार द्वारा किए जाने की पुष्टि हुई।
वन विभाग की त्वरित कार्यवाही और आर्थिक सहायता
घटना की सूचना मिलते ही, वन विभाग और जिला प्रशासन की टीमें बिना किसी देरी के मौके पर पहुंचीं। डीएफओ रुद्रप्रयाग रजत सुमन और उपजिलाधिकारी रुद्रप्रयाग भगत सिंह फोनिया के नेतृत्व में पहुंची टीम ने जांच में गुलदार के हमले की पुष्टि की।
मानवीय संवेदनशीलता दिखाते हुए, प्रभागीय वनाधिकारी, रुद्रप्रयाग रजत सुमन ने तत्काल ही प्रभावित परिवार को अग्रिम राहत के तौर पर 1 लाख 80 हज़ार रुपए का चेक प्रदान किया। जिला प्रशासन द्वारा प्रभावित परिवार को त्वरित आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने से संकट की इस घड़ी में कुछ सहारा मिला है।
क्षेत्र में बढ़ी निगरानी, वन विभाग की टीमें सतर्क
घटना की गंभीरता को देखते हुए, रुद्रप्रयाग वन विभाग ने तत्काल क्यू०आर०टी० (Quick Response Team) और आर०आर०टी० (Rapid Response Team) को जोंदला पाली क्षेत्र में सक्रिय कर दिया है।
निगरानी: गुलदार की गतिविधियों पर निरंतर निगरानी के लिए क्षेत्र में कैमरा ट्रैप, ड्रोन और फॉक्स लाइट जैसे आधुनिक उपकरणों की सहायता ली जा रही है।
रेस्क्यू ऑपरेशन: गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाया जा चुका है, और प्रभावित क्षेत्र से सटे सभी संवेदनशील इलाकों में गश्त बढ़ा दी गई है।
सुरक्षा व्यवस्था: टीमों द्वारा विद्यालयी छात्र-छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए उन्हें विद्यालय तक पहुंचाने की विशेष व्यवस्था भी की गई है।
जागरूकता अभियान: वन विभाग की टीमें ग्रामीणों से सहयोग लेते हुए क्षेत्र में व्यापक सतर्कता अभियान चला रही हैं, जिसमें गुलदार से बचाव के उपायों की जानकारी दी जा रही है।
वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा-निर्देश
घटनास्थल पर पहुंचे प्रभागीय वनाधिकारी एवं उप प्रभागीय वनाधिकारी ने क्षेत्र में विशेष टीमों का गठन करते हुए सख्त निर्देश दिए हैं:
गुलदार प्रभावित क्षेत्र में आम जनता को जागरूक करने हेतु सघन अभियान चलाया जाए।
वन विभाग की टीमों द्वारा गुलदार की गतिविधियों पर निरंतर निगरानी रखी जाए।
दिन और रात्रि की गश्त को तत्काल बढ़ाया जाए।
वन्य जीवों से सुरक्षा के उपाय: क्या करें और क्या न करें
वन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे अत्यधिक सतर्क रहें और वन्य जीवों से संभावित हमलों से बचने के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन करें:
केयरिंग कैपेसिटी: एक गंभीर चुनौती
उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ने का एक मुख्य कारण वन्यजीवों की केयरिंग कैपेसिटी (Caring Capacity) का बिगड़ना है। राज्य सरकार और वन विभाग को इस गंभीर पारिस्थितिक असंतुलन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
क्या है केयरिंग कैपेसिटी? केयरिंग कैपेसिटी का अर्थ है किसी दिए गए प्राकृतिक आवास (जंगल) में वन्यजीवों की वह अधिकतम संख्या जिसे वह आवास बिना अपनी गुणवत्ता खोए बनाए रख सकता है।
कम क्षेत्रफल में अधिक जानवर होने का खतरा:
खाद्य संकट: जंगल का क्षेत्रफल सीमित होने और वन्यजीवों की संख्या बढ़ने से भोजन और पानी के लिए जानवरों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है।
आवास विखंडन: विकास परियोजनाओं, सड़कों और मानवीय बस्तियों के कारण जंगल का विखंडन (Fragmentation) हुआ है, जिससे वन्यजीवों के प्राकृतिक गलियारे (Corridors) बाधित हुए हैं।
मानव बस्तियों में प्रवेश: भोजन की कमी होने पर गुलदार जैसे जानवर आसानी से मानव बस्तियों की ओर रुख करते हैं, जिससे संघर्ष की घटनाएं बढ़ती हैं।
बीमारियों का खतरा: सीमित क्षेत्र में अधिक जानवरों के जमावड़े से बीमारियों के फैलने और परजीवी संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है, जिससे वन्यजीवों की मृत्यु दर बढ़ती है।
यह ज़रूरी है कि उत्तराखंड सरकार वन्यजीव प्रबंधन की नीतियों में बदलाव करे, वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास का संरक्षण करे, और उनके लिए पर्याप्त शिकार आधार (Prey Base) सुनिश्चित करे, ताकि वे भोजन की तलाश में मानव बस्तियों की ओर न आएं और ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सके।



