मोटर ट्रांसपोर्ट यूनियन के चक्का जाम से यातायात ठप, यात्री बेहाल; टैक्सी चालकों ने टैक्स वृद्धि पर जताई नाराज़गी।
रुद्रप्रयाग। बुधवार को ऑल उत्तराखंड मोटर ट्रांसपोर्ट यूनियन के समर्थन में मंदाकिनी जीप टैक्सी यूनियन द्वारा किए गए एकदिवसीय चक्का जाम से पूरे रुद्रप्रयाग जनपद की अन्य टेक्सी यूनियनों के द्वारा समर्थन दिया गया जिससे यातायात व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित रही। सड़कों पर वाहन थम गए, जिसके चलते स्थानीय निवासियों से लेकर चारधाम यात्रा और पर्यटन के लिए पहुँचे सैकड़ों यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यूनियन ने अपनी माँगें मनवाने के लिए यह कदम उठाया है, जिसके मूल में व्यावसायिक वाहनों पर लगातार बढ़ता टैक्स बोझ और कोरोना व आपदा के कारण घटी कमाई प्रमुख कारण हैं।
घंटों इंतज़ार में फंसे यात्री, पर्यटन पर असर
चक्का जाम का सबसे बड़ा खामियाजा आम यात्रियों को भुगतना पड़ा। रुद्रप्रयाग, अगस्त्यमुनि, ऊखीमठ और तिलवाड़ा मयाली जैसे मुख्य मार्गों पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप रही। जगह-जगह टैक्सी और मैक्स वाहनों को रोक दिया गया, जिससे लोग घंटों तक सड़क किनारे निराशा में वाहन का इंतजार करते रहे।
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परिवहन निगम की बसों के माध्यम से यात्रियों को गंतव्य तक पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसकी पुष्टि सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी कुलवंत सिंह चौहान ने की। हालांकि, यात्रियों की संख्या को देखते हुए यह प्रयास नाकाफ़ी साबित हो रहा है।
टैक्सी चालकों की आर्थिक पीड़ा और प्रमुख माँगे
यूनियन के इस आंदोलन के पीछे टैक्सी चालकों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति मुख्य वजह है। टैक्सी यूनियन की दलील है कि पिछले कुछ वर्षों में, ख़ासकर कोरोना महामारी के दौरान और फिर भूस्खलन-आपदाओं के कारण चारधाम यात्रा व पर्यटन बुरी तरह प्रभावित रहा है। इससे उनकी कमाई लगभग ठप हो गई है, जबकि राज्य सरकार द्वारा हर साल पाँच प्रतिशत टैक्स वृद्धि की नीति लागू है।
यूनियन की मुख्य माँगें, जो उनकी आर्थिक और परिचालन संबंधी चिंताओं को दर्शाती हैं, निम्नलिखित हैं:
टैक्स छूट: चारधाम यात्रा प्रभावित रहने के कारण वाणिज्यिक वाहनों को दो वर्ष की टैक्स छूट दी जाए।
टैक्स वृद्धि समाप्ति: हर साल पाँच प्रतिशत टैक्स वृद्धि की नीति को तत्काल समाप्त किया जाए।
फिटनेस सेंटर: ऋषिकेश स्थित एआरटीओ कार्यालय में बनाए गए फिटनेस सेंटर को शीघ्र चालू किया जाए, ताकि वाहन चालकों को अनावश्यक दौड़-भाग न करनी पड़े।
समान नीति: ऑल इंडिया परमिट वाले वाहनों पर राज्य के समान टैक्स और परिचालन नीति लागू की जाए ताकि स्थानीय परमिट वाले वाहनों के हितों की रक्षा हो सके।
शासन स्तर की माँगें: अधिकारी ने कहा- समाधान में लगेगा समय
इस आंदोलन पर सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी कुलवंत सिंह चौहान ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि टैक्सी यूनियन की ये माँगें शासन स्तर की हैं, और इनके समाधान में समय लग सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यात्रियों को हो रही असुविधा को कम करने के लिए परिवहन निगम की बसों को लगाया गया है ताकि लोगों को उनके गंतव्य तक पहुँचाया जा सके।
बहरहाल, यूनियन का यह प्रदर्शन जहाँ एक ओर टैक्सी चालकों के गहरे आर्थिक संकट को उजागर करता है, वहीं दूसरी ओर आम आदमी की परेशानी का सबब भी बन गया है। अब देखना यह है कि राज्य सरकार इस चक्का जाम को समाप्त करवाने और टैक्सी चालकों की माँगे पूरी करने के लिए क्या कदम उठाती है।


