केंद्रीय विद्यालय भवन निर्माण की मांग ने पकड़ा ज़ोर, आंदोलन ने लिया 'जन आंदोलन' का रूप: रुद्रप्रयाग में झाड़ी कटाई कर विरोध प्रदर्शन!
रुद्रप्रयाग जिले में केंद्रीय विद्यालय भवन निर्माण की वर्षों पुरानी मांग को लेकर चल रहा आंदोलन अब जन आंदोलन का रूप लेता जा रहा है। उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के नेतृत्व में यह प्रदर्शन लगातार ज़ोर पकड़ रहा है।
झाड़ी कटाई कर आंदोलनकारियों ने दी प्रशासन को चुनौती
शुक्रवार को आंदोलनकारियों ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विद्यालय भवन के लिए निर्धारित स्यालसौड़, चंद्रापुरी स्थित भूमि पर झाड़ी कटाई की। यूकेडी नेता डॉ. आशुतोष भण्डारी के नेतृत्व में हुए इस श्रमदान में ग्राम प्रधान भटवाड़ी सुनार प्रीति और प्रधान नैलीकुण्ड मनोज ने भी सक्रिय सहयोग दिया।
डॉ. आशुतोष भण्डारी ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन केवल भवन निर्माण का नहीं है, बल्कि "क्षेत्र के बच्चों के भविष्य और शिक्षा के अधिकार की लड़ाई" है। उन्होंने कहा कि प्रशासन की हीला-हवाली के चलते छात्र-छात्राएं लंबे समय से अस्थायी भवन में पढ़ने को मजबूर हैं।
सांस्कृतिक एकता का प्रदर्शन: इगास लोकपर्व का आयोजन
आंदोलन को जनसहभागिता और सांस्कृतिक एकता से जोड़ने के लिए एक अनूठी पहल की गई है। डॉ. भण्डारी ने बताया कि शनिवार को इसी स्थल पर इगास लोकपर्व पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाएगा। यह आयोजन आंदोलन में स्थानीय लोगों की भागीदारी और पहाड़ी संस्कृति के प्रति समर्पण का प्रतीक बनेगा।
आंदोलनकारियों की मुख्य मांग
आंदोलनकारियों ने जिला और राज्य प्रशासन से पुरजोर मांग की है कि:
केंद्रीय विद्यालय भवन निर्माण की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए।
बच्चों को स्थायी विद्यालय भवन का लाभ सुनिश्चित किया जाए।
इस आंदोलन को स्थानीय जनता का व्यापक समर्थन मिल रहा है। झाड़ी कटाई के दौरान विक्रम फरस्वाण, आशु कंदारी, पंकज राणा, अनिकेत, मोहित सजवाण, राहुल पंवार, नवीन पंवार, शिव सिंह भण्डारी, जगमोहन भण्डारी सहित भटवाड़ी सुनार क्षेत्र की अनेक महिला सहयोगी भी मौजूद रहीं, जो इस मुद्दे पर क्षेत्रीय एकजुटता को दर्शाती हैं।
संबंधित घटनाक्रम: वर्षों से जारी है संघर्ष
यह आंदोलन कोई नया नहीं है, बल्कि रुद्रप्रयाग (अगस्त्यमुनि) केंद्रीय विद्यालय के भवन निर्माण की मांग पिछले कई वर्षों से चली आ रही है।
स्थापना और वर्तमान स्थिति: केंद्रीय विद्यालय अगस्त्यमुनि की स्थापना वर्ष 2004 में एक अस्थायी भवन में हुई थी। वर्तमान में यह विद्यालय कक्षा I से XII तक संचालित हो रहा है, लेकिन अभी भी अपने स्थायी भवन के लिए संघर्षरत है।
पूर्व के आंदोलन: प्राप्त जानकारी के अनुसार, यूकेडी और स्थानीय लोग भवन निर्माण की मांग को लेकर अगस्त्यमुनि/स्यालसौड़-चंद्रापुरी में अनिश्चितकालीन धरना भी दे चुके हैं। खराब मौसम के बावजूद भी कार्यकर्ता और स्थानीय लोग धरने पर डटे रहे थे।
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया: वर्ष 2011-12 से ही भवन निर्माण के लिए भूमि तलाशने का कार्य शुरू हुआ था। काफी लंबे प्रयास के बाद जुलाई 2017 में स्यालसौड़ में वन पंचायत की 1.62 हेक्टेयर (81 नाली) भूमि विद्यालय के नाम पर स्थानांतरित हो पाई थी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इतने वर्षों बाद भी निर्माण कार्य शुरू न होना प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण है। यह आंदोलन अब केवल भवन की मांग न रहकर, बच्चों के उज्जवल भविष्य की नींव रखने के संघर्ष में बदल गया है।


