चमोली में धौली गंगा पर बनी अस्थायी झील से बड़ा खतरा! मलबा हटाने का काम शुरू।
गोपेश्वर (उत्तराखंड)। चमोली जिले की नीति घाटी में तमक गांव के पास धौली गंगा नदी पर बनी एक बड़ी अस्थायी झील (कृत्रिम झील) अब फिर से सुर्खियों में आ गई है। अगस्त में आई आपदा के कारण जमा हुए भारी मलबे ने नदी के प्राकृतिक बहाव को आंशिक रूप से रोक दिया था, जिससे यह झील बन गई है। स्थानीय लोग और विशेषज्ञ इसे एक संभावित बड़े खतरे के रूप में देख रहे हैं।
खतरे की गंभीरता और झील की स्थिति
निर्माण का कारण: मॉनसून की आपदा के दौरान तमक नाले के पास भारी मलबा जमा हो गया था।
झील का आकार: यह झील लगभग 300 मीटर लंबी, 60 मीटर चौड़ी और तीन मीटर गहरी हो गई है। यह गिल गंगा और धौली गंगा के संगम पर बनी है।
बहाव की रुकावट: वर्तमान में, नदी का पानी केवल एक-चौथाई हिस्से (लगभग 15 मीटर) से ही बह पा रहा है।
विशेषज्ञों की चेतावनी: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के विशेषज्ञ, प्रोफेसर एम.पी.एस. बिष्ट और उनकी टीम ने हाल ही में नीति घाटी का दौरा किया। उन्होंने इस झील को एक गंभीर खतरा बताया है।
प्रशासन की कार्रवाई और बचाव प्रयास
खतरे को देखते हुए, चमोली जिला प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी है।
मलबा हटाने का काम: नदी के बहाव को अवरुद्ध करने वाले मलबे को हटाने के लिए मौके पर अर्थमूवर (Excavators) तैनात किए गए हैं।
चौड़ाई बढ़ाने का लक्ष्य: अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में 15 मीटर तक सीमित नदी के बहाव की चौड़ाई को बढ़ाकर 30 मीटर करने का काम शुरू किया गया है, ताकि पानी का बहाव सामान्य हो सके।
सतर्कता: स्थानीय लोग इसे अफवाह बता रहे हैं, लेकिन प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है और SDRF (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) को भी अलर्ट पर रखा गया है।
सर्दियों की योजना: अधिकारियों ने सर्दियों से पहले झील से पानी की निकासी सुनिश्चित करने के लिए योजनाएं भी बनाई हैं।
स्थानीय चिंता और पिछला अनुभव
उत्तराखंड में, खासकर चमोली जैसे पर्वतीय जिलों में, इस तरह की अस्थायी झीलों का निर्माण हमेशा से चिंता का विषय रहा है।
2021 की त्रासदी से सबक: स्थानीय लोग 2021 में रैणी गांव के पास हुए हिमस्खलन और बाढ़ की त्रासदी को नहीं भूले हैं, जिसके कारण भारी तबाही हुई थी। इस तरह की जल रुकावटें अचानक बड़े पैमाने पर बाढ़ का रूप ले सकती हैं।
स्थानीय लोगों की मांग: तमक गांव के आस-पास के ग्रामीण लगातार प्रशासन से जल्द से जल्द मलबे को हटाकर नदी के बहाव को सामान्य करने की मांग कर रहे हैं।


