कुनियाली में बना अस्पताल खुद ही 'इलाज' के लिए तरसता।
एक तरफ किराए के भवन में चल रहा अस्पताल, दूसरी तरफ तैयार इमारत 5 वर्षों से धूल फांक रही।
30 गांवों के लिए संजीवनी साबित हो सकने वाला अस्पताल बना मवेशियों का अड्डा, विभाग बना लापरवाह।
स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के चलते खंडहर में तब्दील हो रहा नया भवन, उग आई हैं घास और झाड़ियां।
रुद्रप्रयाग - एक ओर उत्तराखंड सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने और पलायन को रोकने के बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत इन दावों की पोल खोल रही है। मयाली-गुप्तकाशी मोटरमार्ग पर स्थित कुनियाली गांव में स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही का एक जीता-जागता उदाहरण देखने को मिलता है, जहां लाखों की लागत से बना-बनाया अस्पताल का नया भवन पिछले 5 सालों से वीरान पड़ा है और अब खंडहर में तब्दील होने की कगार पर है।
विडंबना यह है कि जिस अस्पताल को 30 से अधिक गांवों के लिए संजीवनी बनना था, वह आज खुद अपने इलाज के लिए तरस रहा है। पांच साल पहले बनकर तैयार हुए इस अस्पताल भवन और कर्मचारियों के लिए बने आवासों पर आज घास और जंगली झाड़ियां उग आई हैं। आलम यह है कि यह वीरान भवन अब मवेशियों का अड्डा बन गया है, जहां हाल ही में एक गुलदार द्वारा गोवंश को भी मार कर छोड़ दिया गया था।
किराए के भवन में चल रहा अस्पताल
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि एक तरफ सरकार का लाखों रुपया इस भवन पर खर्च हो गया, वहीं दूसरी तरफ वर्तमान में कुनियाली का अस्पताल एक किराए के भवन में संचालित हो रहा है। यह स्थिति सीधे तौर पर स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। आखिर क्या वजह है कि एक तैयार सरकारी भवन होने के बावजूद स्वास्थ्य सेवाएं किराए की इमारत से चलाई जा रही हैं?
ग्रामीणों में भारी आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी
प्रशासन की इस अनदेखी से स्थानीय निवासियों में भारी रोष है। स्थानीय निवासी पंकज सिंह भण्डारी, वीरू पंवार, सतपाल पंवार, बिपिन पंवार, लखपत पंवार, सुशील थपलियाल, और शंकर सिंह का कहना है कि यह केवल एक भवन की बर्बादी नहीं, बल्कि 30 गांवों की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है।
उन्होंने कहा, "सरकार का काम बजट देना था, लेकिन प्रशासन की जिम्मेदारी उस बजट का सही उपयोग सुनिश्चित करना है। इस तरह सरकारी संपत्ति की दुर्गति करना कहां तक जायज है?" स्थानीय लोगों ने एक स्वर में चेतावनी दी है कि यदि रुद्रप्रयाग का स्वास्थ्य विभाग जल्द ही इस भवन का संज्ञान लेकर अस्पताल को इसमें स्थानांतरित नहीं करता है, तो वे आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। यह मामला उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव और उसके कारण होने वाले पलायन के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी को भी उजागर करता है।