रामरतन सिंह पँवार।
रुद्रप्रयाग में विकास की खुली पोल: काम अधूरा, पर 2 लाख का बोर्ड पूरा, जिला पंचायत की कार्यशैली पर उठे गंभीर सवाल।
जखोली। उत्तराखंड में विकास कार्यों की जमीनी हकीकत क्या है, इसकी एक बानगी रुद्रप्रयाग जिले के जखोली विकासखंड में देखने को मिलती है, जहाँ सरकारी तंत्र की उदासीनता और गैर-जिम्मेदाराना रवैया जनता पर भारी पड़ रहा है। यहाँ की ग्राम पंचायत त्यूंखर में जिला पंचायत द्वारा स्वीकृत एक टिनशेड का निर्माण कार्य एक साल बीतने के बावजूद धूल फांक रहा है, जो न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि भ्रष्टाचार की आशंका को भी गहरा करता है।
मामला ग्राम पंचायत त्यूंखर के खेंजवा तोक का है, जहाँ राज्य वित्त की धनराशि से एक प्रतीक्षालय (टिनशेड) का निर्माण स्वीकृत हुआ था। निविदा जारी हुए एक वर्ष से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन आज भी यह निर्माण अधूरा है। ठेकेदार ने केवल लोहे के पाइपों के सहारे चद्दरें खड़ी कर दी हैं और मौके से गायब है। प्रतीक्षालय में अभी तक पक्का फर्श तक नहीं बनाया गया है, जबकि नियमानुसार यहाँ सीमेंट या टाइल्स का काम होना था। यह अधूरा ढांचा अब स्थानीय निवासियों के लिए किसी काम का नहीं है।
अधूरे काम पर पूरी लागत का बोर्ड
इस मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि निर्माण कार्य पूरा होने से पहले ही उस पर 2 लाख रुपये की लागत वाला साइनबोर्ड टांग दिया गया है। यह कदम जिला पंचायत की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है। नियमों के अनुसार, किसी भी परियोजना का बोर्ड तभी लगाया जाता है, जब कार्य पूर्ण हो चुका हो। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अधिकारियों ने इसे कागजों में पूरा दिखाकर धन निकासी की तैयारी कर ली है?
जवाबदेही से भागते अधिकारी
जब इस घोर लापरवाही के संबंध में जिला पंचायत के संबंधित अवर अभियंता से स्पष्टीकरण मांगा गया, तो उन्होंने कोई भी संतोषजनक उत्तर देने के बजाय चुप्पी साध ली। उनका यह रवैया दर्शाता है कि दाल में कुछ काला जरूर है। यह स्थिति केवल त्यूंखर की नहीं है; पूरे विकासखंड में जिला पंचायत के माध्यम से कराए जा रहे अनेक निर्माण कार्यों की यही दुर्दशा होने की आशंका है।
यह बेहद चिंताजनक है कि जिला स्तरीय अधिकारियों, विशेषकर मुख्य विकास अधिकारी (CDO), जिनकी सीधी निगरानी में यह कार्य होने चाहिए, इस पूरे प्रकरण से या तो अनभिज्ञ हैं या जानबूझकर आँखें मूंदे बैठे हैं। यदि जिम्मेदार अधिकारी इसी तरह कुंभकर्णी नींद में सोए रहे, तो सरकारी धन की बर्बादी और भ्रष्टाचार का यह खेल यूँ ही चलता रहेगा।