कागजों में 4 साल पहले बन गया आगनबाड़ी केंद्र जमीन की हकीकत दिन में तारे देखने वाली।
ग्राम कोठियाड़ा में अधूरे भवन की कार्यपूर्ति मनरेगा के कागजों में जमीन पर हकीकत कुछ और।
4 वर्ष की अविधि के पश्चात भी न बालविकास विभाग की नींद खुली न बनाकर हैंडओवर करने वाले की।
2021-22 में कार्यपूर्ति लक्ष्य आधारित करके MIS में कार्यपूर्ण दिखाया गया है जबकि जमीन पर हकीकत ये है कि छत पड़ने से बिल्डिंग नही बनती उसमे दरवाजे, खिड़की फर्श टॉयलेट, बिजली ओर पानी के साथ रँग रोगन भी होना चाहिए। पर महारथी बने मनरेगा के नियंताओं को शायद कोई फर्क नही पड़ता है। केंद्र पोषित मनरेगा में झोल कितने हैं यह प्रमाण कई बार सांमने आ जाते हैं पर जांच में येसे घुमाया जाता है कि आम आदमी को पता ही नही होता कि हुआ क्या ये।
जिओ टैग को चेक किया जाए तो कितनी लोकेशन सही मिलती हैं और कितनी गलत जिसमें +15 से +20 या -15 से -20 मीटर भी चल जाएगा। अभी जो चल रहा है वह अपनी सुविधानुसार टैग किया जा रहा है यह भी जांच का विषय है यह सिर्फ दिखावा है कि जिओ टैग हो रहा क्या उस जिओ टैग की इंट्री को कभी सॉफ्टवेयर में चेक किया गया कि यह जो एंट्री है हकीकत में कार्यस्थल की है या नही।
जो कार्य कर रहें उनकी उपस्थिति ओर जो नही कर रहे उनकी उपस्थिति दिखाई जा रही कभी क्रोस चेक हुआ।
ग्राम कोठियाड़ा में मयाली गुप्तकाशी सड़क पर राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोठियाड़ा के विद्यालय भवन के बगल में बना हवामहल जिसे आंगनबाड़ी केंद्र के नाम पर बनाया गया है जिसे मनरेगा में कार्यपूर्ण दिखाया जा रहा है जबकि अभी इस भवन का फर्श में कच्चा सीमेंट भी नही है ओर न खिड़की न दरवाजे बिजली के साथ पानी तो बड़ी दूर की बात है। आखिर सवाल यह है कि ऐसे ही कार्यपूर्ण अन्यत्र भी न जाने कितने होंगे जिनकी कोई जानकारी ही नही।
मनरेगा योजना को रोजगार का साधन बनाया गया है जो कि एक गरीब आदमी को आसानी से रोजगार दे सके। सोशियल ओडिट सिर्फ खाना पूर्ति तक हैं यदि हुआ तो यह आगनबाड़ी केंद्र भी मुद्दा रहा होगा यदि नही तो क्यो नही यदि मुद्दा रहा चर्चा का तो कार्य पूर्ण न होने पर क्या कार्य अधूरे होने पर भी कार्यपूर्ण लिखा गया यदि हां तो उस दौरान नियुक्त सोशियल ऑडिटर को भी पार्टी बनाया जाए।