रूप सिंह रावत/ सतपुली
गुलदार ने महिला पर किया हमला, महिला की मौके पर मौत।
आखिर सरकार इन गुलदारों को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर क्यो लगा रही।
गुलदारों के हमलों से कितने घर के चिराग बुझ गए और कितने बच्चे अनाथ हो गए यह किसने देखना।
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में विकासखण्ड द्वारीखाल स्थित ग्राम पंचायत जवाड़ के हलसी गांव में गुलदार द्वारा किये हमले से एक महिला की मौत हो गई। गुलदार के हमले की घटना से पूरे इलाके में दहशत फैल गई है।
रविवार शाम को 34 वर्षीय लता देवी पत्नी जयवीर सिंह अपने घर के पास खेत में बकरियां चरा रही थीं कि घात लगाए गुलदार के द्वारा अचानक जानलेवा हमला कर महिला को मौके पर ही मृत कर दिया ।
घटना की सूचना पर पौखाल क्षेत्र के कानूनगो और पटवारी गांव के लिए रवाना हो गए हैं।
ग्राम पंचायत जवाड़ के पूर्व प्रधान राजेश मियां ने बताया कि झाड़ियों में घात लगाए बैठे गुलदार ने अचानक लता देवी पर हमला कर दिया। उनके चीखने की आवाज सुनकर परिजन घटनास्थल की ओर दौड़े, लेकिन जब तक वे वहां पहुंचते लता ने दम तोड़ दिया था। उनकी गर्दन पर गहरे घाव के निशान मिले हैं। इस घटना से जवाड़, बिस्ताना, कांडाखाल, बनाली, बिरमोली, सुंडल, बड़ेथ, उडियारी, दीवा सहित आसपास क्षेत्र के गांवों में भय का माहौल है।
महिला की मौत गुलदार के हमले से हुई कि पुष्टि डीएफओ आकाश गंगवार ने की है कि महिला की मौत गुलदार के हमले से हुई है। प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि वनकर्मियों की टीम घटनास्थल पर भेज दी गई है और वह स्वयं घटना का जायजा लेने गांव पहुंचेंगे। सुरक्षा के मद्देनजर क्षेत्र में वनकर्मियों की तैनाती की जा रही है।
जनपद रुद्रप्रयाग के जखोली ब्लॉक क्षेत्र में भी गुलदार के द्वारा 24 फरवरी 2025 से 10 जून 2025 तक 3 महिलाओं की मौत गुलदार के हमलों से हो चुकी हैं।
बचाव कैसे करें-
गुलदार के आतंक का पहाड़ में बढ़ने का कारण जंगलों में सियार की संख्या बिल्कुल नगण्य हो गयी है जिससे कि पारिस्थितिकीय संतुलन बिगड़ गया है और 21 माह में एक मादा गुलदार 4 से 6 बच्चो तक को जन्म देती है। पूर्व में गुलदार के निश्चित क्षेत्र थे जिसमें कभी दूसरे गुलदार के द्वारा हसक्षेप नही किया जाता था वर्तमान में यह प्रवृत्ति भी गुलदारों की बदल गयी है।
गुलदार से बचाव हेतु सतर्कता आवश्यक है जिसमें एक ही स्थान पर झुककर अधिक देर तक काम न करना। क्योंकि अभीतक रुद्रप्रयाग में जितनी भी घटनाएं हुई हैं सभी घटनाओं में महिलाएं खेत मे झुककर काम कर रही थी। सावधानी ही बचाव है क्योंकि वाइल्ड लाइफ के नियम इतने पेचीदा हैं कि इस घटना के बाद भी उस गुलदार को आदमखोर घोषित नही किया जाएगा।