ऊर्जा प्रदेश के दम्भ भरने वाले अंधेरे में रहने को मजबूर।
विकासखण्ड जखोली में बना उप खण्ड विद्युत स्टेशन शोपीस।
गुलदार के आतंक से त्रस्त क्षेत्र में छाया है अंधेरा आखिर कब खुलेगी विद्युत विभाग रुद्रप्रयाग की नींद।
उप खण्ड जखोली में स्थित 33 केवी सब स्टेशन से लस्या, सिलगढ व बांगर पट्टी के करीब 50 से 55 गावों में विद्युत व्यवस्था का संचालन किया जाता है पर दुर्भाग्य विद्युत विभाग का या यहां निवासरत स्थानीयों का जो ऊर्जा प्रदेश के तमगे से नवाजा गया हो के निवासी अंधेरे में रहने को मजबूर हैं।
विगत 24 फरवरी 2025 देवल गावँ में 30 मई को डांडा गावँ मे व 10 जून को मखेत आश्रम में 03 महिलाओं को गुलदार के द्वारा अपना निवाला बनाये जाने के बाद विकासखण्ड मुख्यालय के आसपास के गावों मे भय का माहौल बना है।
इतनी घटनाएं होने के बाद वन विभाग के द्वारा इस क्षेत्र में 30 मई 2024 से अपनी आमाद अपने कर्मचारियों के द्वारा 24 घण्टे दर्ज की जा रही है। वन कर्मियों के द्वारा की जा रही लगातार गश्त से क्षेत्र में थोड़ा लोगों का साहस बन रहा है।
मानववन्य जीव संघर्ष की स्थिति से बचने के लिए पर्याप्त उजाला का होना आवश्यक है जिसके लिए उत्तराखण्ड देश मे ऊर्जा प्रदेश का तमगा प्राप्त राज्य है पर दीपक तले अंधेरा की कहावत यहां सटीक बैठती है। जो प्रदेश अपने संसाधनों का दोहन हेतु बाहरी कम्पनियों को आमंत्रित करके अन्य प्रदेशों को विद्युत ऊर्जा से जगमग रखने के लिए दोहित हो रहा हो तो वह स्थानीय निवासियों की पीड़ा को क्या जाने।
वन्य जीवों के मानव बस्तियों के नजदीक आने का समय सायंकाल से ओर 10 बजे रात तक व सुबह 4 बजे से उजाला होने तक का समय निश्चित होता है। आजकल घनसाली जखोली 33 केवी की लाइन विगत 3 दिन से खराब चल रही है यह लाइन का फॉल्ट है या विभाग का फॉल्ट समयावधि के अनुसार पाठक स्वयं निश्चत कर सकते हैं।
सब स्टेशन जखोली में कितनी बड़ी तकनीकी का प्रयोग हो रखा है जो अन्य जगह के अनुकरणीय हो सकती है जैसे ही बारिश की बूंद शुरू होती वेसे ही विद्युत सप्लाई बंद कर दी जाती है।
दिनभर शट डाउन का खेल और रात होते ही सब जगह विद्युत आपूर्ति सुचारू फिर जैसे ही कार्यालय खुलने का समय होता 10 बजे वेसे ही आँख मिचौली शुरू। यह आँख मिचौली का खेल कबतक चलता है यह देखना है। फिलहाल घनसाली जखोली 33 केवी की लाइन ठीक होने तक न जाने फिर अंधेरे का फायदा गुलदार कब ओर कहा उठा दे यह कहना मुश्किल है।