स्थानीय फल व फूल बनेंगे आजीविका का आधार

पहाड़ों में स्वरोजगार के अवसर,
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 स्थानीय फल व फूल बनेंगे आजीविका का आधार।


फल प्रसंस्करण पर्वतीय क्षेत्रों में स्वरोजगार का सर्वोत्तम आधार।

सिंगोली भटवाडी कैट प्लान योजना के तहत आच्छादित गावों को स्वरोजगार व हुनर को पंख लगाने के सफलतम प्रयास की ओर अग्रसर वन विभाग रुद्रप्रयाग।




हुनरमंद हाथों को तैयार करने के लिए वन विभाग रुद्रप्रयाग द्वारा संचालित सिंगोली भटवाड़ी कैट प्लान योजना के तहत ग्राम डड़ौली ओर कुड़ी अदुली में 2 दिवसीय फल प्रसंस्करण प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी सँख्या में प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया जो कि स्वरोजगार के प्रति जागरूकता के प्रति प्रतिबद्ध होने की निशानी है।

स्थानीय फल जिसमे सबसे ज्यादा माल्टा (सिट्रस) फल होते हैं जिनका स्थानीय व बड़े बाजार में मौसम नवम्बर दिसम्बर के समय मूल्य नही मिलता है इसकी जगह लोग किन्नू फल को पसंद करते है। इसका कारण किन्नू का छिलका हल्का होना और माल्टा का छिलका सख्त होना है। माल्टा लगभग प्रत्येक घर मे होता है और औसत उत्पादन प्रति परिवार भी देखें तो 2 से 3 कुंतल है इस हिसाब से कई मीट्रिक टन माल्टा जनपद रुद्रप्रयाग में उत्पादित होता है।

माल्टा के बहुतायत उत्पादन और नदी किनारे वाले गावँ में आम, आंवला, बेल आदि के फल और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में माल्टा उत्पादन अधिक होने और फल के रूप में बाजार में मांग कम होने के चलते माल्टा की फसल से किसानों को कोई लाभ नही मिलता है।

किसानों को अपनी फसल का अच्छा दाम मिले इसके लिए रुद्रप्रयाग वन प्रभाग द्वारा आजीविका संवर्धन कार्यक्रम में योजनाबद्ध तरीके से प्रशिक्षण दिया और उत्पादित माल की बिक्री सुनिश्चित करने के लिए किसानों से लस्तर हिलाईं  फार्मर्स प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड विकासखण्ड जखोली के प्रतिनिधियों से वार्ता करवाई यह प्रयास इसीलिए सफलता के आयाम छुएगा क्योंकि अमूमन प्रशिक्षण के बाद उत्पाद की गुणवत्ता ओर उसके बाजार बिक्री की व्यवस्था नही होने से कार्यक्रम सफल नही हो पाए।

जनपद रुद्रप्रयाग विकट भौगोलिक परिस्थिति वाला पर्वतीय क्षेत्रों होने के चलते पर्यटन के अतिरिक्त कोई ऐसे अन्य रोजगारपरक साधनों का विकास नही हो पाया है। जबकि चारधाम यात्रा का केंद्रबिंदु रुद्रप्रयाग है तो उत्तराखण्ड सरकार व जिला प्रशासन रुद्रप्रयाग के सफलतम प्रयोग में से प्रसाद योजना जिसमें चोलाई के लड्डू बनाना, बिल्वपत्र, आदि को प्रसाद में शामिल करना तथा स्थानीय उत्पाद को पहचान दिलाने के लिए जगह जगह आउटलेट खोलना जिससे महिला समूहों को अधिक से अधिक स्वरोजगार मिल सके व उनकी बाजार की समझ बन सके के लिए बहुत अच्छे प्रयास किये गए हैं।

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