गुलदार के हमले से डाँगी पठालीधार में महिला घायल

गुलदार द्वारा महिला पर जानलेवा हमला,
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 गुलदार के हमले से डाँगी पठालीधार में महिला घायल।

जनपद रुद्रप्रयाग में फरवरी 2025 से गुलदार के द्वारा लगातार हमलों से 3 महिलाओं की मौत व एक घायल।

वन विभाग व रिसर्च विंगों को चाहिए कि अचानक गुलदारों के स्वभाव में परिवर्तन आने के कारणों व निदान पर कार्य किया जाए।

मानववन्य जीव संघर्ष की घटनाओं का लगातार बढना मनुष्यों व पालतू पशुओँ के जीवन के लिए खतरा बनता जा रहा है। जनपद रुद्रप्रयाग में गुलदारों द्वारा लगातार हमलावर होना यह किसी भी दशा में जीवन जीने हेतु प्रतिकूल स्थिति है।

घटना आज सुबह अगस्त्यमुनि विकासखण्ड के डांगी पठाली धार गावँ जो कि रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के  उत्तरी जखोली रेंज अंतर्गत आता है सुबह लगभग 9.30 बजे श्रीमती चैता देवी पत्नी स्व 0 गोविन्द सिंह रावत को गुलदार द्वारा घायल किया गया। महिला पर गुलदार द्वारा हमला करने पर आसपास के लोगों द्वारा शोर मचाने से गुलदार भाग गया।

घायल को तत्काल अगस्त्यमुनि अस्पताल ले जाया गया जहां महिला का उपचार चल रहा है। 

निवर्तमान ग्राम प्रधान डाँगी श्री सत्येंद्र सिंह, निवर्तमान ग्राम प्रधान फलई श्री विजय पाल सिंह,व निवर्तमान ग्राम प्रधान श्री सुमान सिंह के द्वारा कहा गया कि गुलदार के द्वारा हमला होने की घटनाएं रुद्रप्रयाग में लगातार बढ़ रही हैं और हमारे क्षेत्र में भी गुलदार द्वारा आज महिला पर हमला कर पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल बना दिया है। हम वन विभाग से मांग करते हैं कि तत्काल गुलदार को पकड़ने या देखते ही गोली मारने के आदेश दें। यदि इस क्षेत्र में दूसरी घटना होती है तो फिर जन आंदोलन वन विभाग के खिलाफ छेड़ा जाएगा जिसकी जिम्मेदारी वन विभाग की होगी।

 सूचना प्राप्त होने पर तत्काल वनविभाग की  टीम मौके पहुँच कर घटना का स्थल का मौका मुयाना किया तथा मौके पर टीम द्वारा गश्त की जा रही है व ग्रामीणों को सावधानी बरतने हेतु अपील की जा रही है। 

वनक्षेत्राधिकारी उत्तरी जखोली श्री सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि गुलदार की गतिविधि को देखने के लिए ट्रेप कैमरे लगाए जा रहे हैं व टीम क्षेत्र में गश्त कर रही है जो लगातार चलती रहेगी व इसके साथ ही जनजागरूकता हेतु प्रभावित क्षेत्र में जन सम्पर्क किया जा रहा है।

गुलदारों के द्वारा लगातार हमलावर होने के कारण व निदान के लिए हिमालय की आवाज़ न्यूज पोर्टल कुछ सुझाव दे रहा है जिनपर काम करके स्थितियों को कुछ हद तक सम्भाला जा सकता है।

 जिस तरह से भारत मे चीता प्रजाति की कमी होने से विदेश से चीता मंगा कर मध्यप्रदेश के गांधी सागर व बानी ग्रासलैंड गुजरात में 5 फीमेल व 3 मेल साउथ अफ्रीकन चीते छोड़ें गए थे उसी तरह पहाड़ में सियार की उपस्थिति अति न्यून होने के चलते यहां सियारों को दूसरे स्थान से लाया जाए। जिससे पारिस्थिकीय तंत्र सुरक्षित रहे।

सियार प्रजाति जंगलों में सुवर के बच्चे और गुलदार के बच्चों का शिकार करता है जिससे इनकी जनसंख्या स्थान कैपेसिटी के अनुरूप रहती है और इससे पारिस्थितिकीय तंत्र सुदृढ रहता है।

या सरकार के द्वारा एक बार जनपद रुद्रप्रयाग में गुलदारों की गणना करवाकर इनकी देखभाल क्षमता (Carrying capacity) के अनुसार अन्यत्र स्थान्तरित किया जाय। क्योंकि 5 किलोमोटर के दायरे में 6 से 7 गुलदारों का लगातार दिखना यह मानव वन्यजीव संघर्ष को बढ़ाने के लिए पर्याप्त अवसर बनाते हैं।

गुलदार के हमलों से बचने के उपाय-

👌बस्तियों के नजदीक झाड़ियों को न उगने दें।

👌महिलाएं समूह में खेत या घास के लिए जायें।

👌खेत मे एक ही स्थान पर अधिक समय तक बैठकर काम न करें।

👌अपने आस पास पक्षियों की चहचहाट की आवाज़ में परिवर्तन होने को ध्यान दें।

👌घरों के आसपास उजाले का समुचित प्रबन्ध किया जाए।

👌गुलदार के बस्तियों के नजदीक आने का समय अधिकतर सायं को 4 बजे से होता है जो लगभग 9 बजे तक होता है व सुबह 5 बजे से उजाला होने तक इस अविधि में सावधानी की आवश्यकता होती है।


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