उद्यान विभाग एवं पौधशाला स्वामियों की मिली भगत से योजनाओं में आपूर्ति किए जा रहे कटी जड़ों व निम्न स्तर के पौधे।
जड़ कटी पौध से उद्यान क्षेत्र में क्रांति लाने वाले उद्यान विभाग और फलपोध नर्सरी के मालिकों के बेखोफ इरादे आखिर किस दिशा में उत्तराखंड को ले जा रहे।
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में फल उद्यान की अपार संभावनाओं को ग्रहण लगाए बैठे उद्यान विभाग और कुछ पौधशाला के स्वामियों की बेख़ौफ होकर जड़ कटी पौध सप्लाई लगातार सप्लाई होने से ओर कागजी नींबू की पौध की जगह जमभीरी पौध सप्लाई करने से कागजों में बहुत बड़े क्षेत्र को मीट्रिक टनों का उत्पादन वाला क्षेत्र बना दिया गया है जो कि उद्यान विभाग के फल उत्पादन का क्षेत्र और उत्पादन के आंकड़ों को देखकर आसानी से वस्तुस्थिति से वास्तविक रूप से रूबरू होया जा सकता है।
अभी कुछ दिन पहले कागजी नींबू की पौध की जगह जमभीरी के पौधे का पता तब लगा जब 4 साल तक किसान श्री मानवेन्द्र सिंह ग्राम सेनागढसारी के द्वारा इस मामले को अपने पर्वतीय कृषक-कृषि बागवानी उद्यमी संगठन के सम्मुख रखा तब जाकर कुछ कार्यवाही कृषि मंत्री उत्तराखंड के सज्ञान में यह मामला आने पर उनके हस्तक्षेप से हुई। इतना होने के बाद भी फिर से उसी नर्सरी को फल पौध वितरण के आदेश ने फिर किरकिरी करवाने वाले आदेशों को निर्गत करने वाले ने क्या समझ कर दिया गया यह जांच का विषय है।
श्री मोहन सिंह नेगी ग्राम सिमलखेत चौखाल विकास खंड वीरोंखाल जनपद पौड़ी गढ़वाल द्वारा इस बर्ष जनवरी 2025 में उद्यान विभाग से अखरोट के 15 पौधे 125 रुपए प्रति पौधे की दर से क्रय किए। श्री नेगी का कहना है कि -
अखरोट के पौधों की जड़ें कटी हुई है।
जड़ों पर कीड़े लगें हैं।
ग्राफ्ट का जुड़ाव परिपक्व नहीं है।
पौधे की लम्बाई दो फिट से अधिक नहीं है।
फल पौध पर जाति के संबंध में कोई टैग नहीं लगा हुआ न ही नर्सरी का नाम लिखा है।
पौधों पर कोई पैकिंग नहीं है।
निदेशालय उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण उत्तराखंड उद्यान भवन चौबटिया रानीखेत (अल्मोड़ा) ने पत्रांक-2766-72/उ०त० / शी० का० फ०पौ०आ०/2024-25 दिनांकः चौबाटया - 7 जनवरी, 2025 द्वारा सभी जिला उद्यान अधिकारियों को आवंटित फल पौधों के सम्बन्ध में दिशा निर्देश दिए हैं जिसके अनुसार-
कल्मी पौधे का तना मजबूत हो, ग्राफ्ट का जुड़ाव परिपक्व हो, पौधे की लम्बाई 04 से 05 फीट से कम न हो, पौधे का शिखर परिपक्व हो, ग्राफ्ट लगभग 01 वर्ष पुराना हो तथा पौधे रोगरहित व मानकानुसार हों।
खुदान के कम से कम 05 दिन बाद ही पौधों का उठान किया जाय तथा फल पौधों में प्रजाति की टैगिंग एवं नर्सरी का नाम अवश्य अंकित किया जाय। फल पौधों के उठान के लिए सक्षम तकनीकी कार्मिक को ही भेजना सुनिश्चित करें।
पौध उठाने से पूर्व प्रजाति की सत्यता पूर्णतया सत्यापित कर लें। पौधों का बिल प्रजाति के अनुसार ही प्राप्त करें, तद्नुरूप ही कृषकों को प्रजाति के विवरण सहित फल पौध उपलब्ध कराते हुए रिकार्ड रखे, ताकि विश्वसनीयता बनी रहें।
पौधों की पैकिंग सुचारू रूप से की जाय। वाहन में पैकिंग हेतु हरी/मौस घास / पत्ती पर्याप्त मात्रा में डालें, ताकि पौधें सुरक्षित रहें।
उक्त के अतिरिक्त "उत्तराखण्ड फल पौधशाला (विनियमन) अधिनियम, 2019" एवं "उत्तराखण्ड फल पौधशाला (विनियमन) नियमावली, 2021" में निहित प्राविधानानुसार कार्यवाही अपनायी जाय।
जनपदों के जिला उद्यान अधिकारियों के कार्यालय एवं पौधशाला स्वामियों की मिली भगत के कारण योजनाओं में बागवानों को इसी प्रकार के कटी हुई जड़ों की निम्न स्तर की फल पौध बांटी जा रही हैं।
उद्यान विशेषज्ञ डॉ राजेन्द्र कुकसाल का कहना है कि यह सरासर उत्तराखंड फल पौधशाला अधिनियम 2019 का उलंघन है तथा बागवानों के साथ धोखा है।
पर्वतीय कृषक-कृषि बागवानी उद्यमी संगठन के सचिव श्री दीपक कगरेती ने कहा कि उद्यान विभाग की बागडोर बेलगाम अधिकारियों को दी है, जिसका दुष्परिणाम राज्य का काश्तकार भुगत रहा है,आए दिन राज्य में किसानों को गलत पौधे दिए जाने की खबर सामने आ रही हैं,पौधों की खरीद पर सीबीआई जांच भी गतिमान है लेकिन बेखौफ विभाग किसी भी जांच से घबरा नहीं रहा है।