हिमालय की आवाज।
निजी वाहनो के द्वारा लगातार हो रहा है सवारी ढोने का काम।
व्यावसायिक वाहनो के चालक व मालिक कर रहे हैं सवारियो का इंतजार।
सुबह अधिकतर 8 से 10 बजे ओर शाम को 4 बजे से 5 बजे तक यदि तिलवाड़ा के सुमाड़ी बाजार से आगे तिलवाड़ा- मयाली मोटरमार्ग पर चेकिंग हो तो निजी वाहनों से सवारियों को ढोने वालों पर कुछ हद लगाम लग सकती है।
स्वरोजगार से अपनी जीविकोपार्जन हेतु बैंक या निजी कंपनियों से उधार लेकर वाहन खरीद कर अधिकतर वाहन स्वामियों ने टेक्सी मैक्सी यूनियन से जुड़कर इस आशा में अपने वाहनों को टेक्सी स्टेण्ड पर खड़ा किया जाता है कि हमारे वाहनो का नम्बर आएगा और वाहनो मे बैठने वाली सवारियो से किराया/ भरण-पोषण सहित बैंक से वाहन खरीदने हेतु लिया गया कर्ज का उधार चुकता ओर परिवार के लिए दो जून की रोटी जुटाने की लालसा लिए अपने वाहन को सवारी की प्रतीक्षा मे दिनभर अपने वाहनो को सवारी के इंतजार मे खड़े रहना और कभी कभी सवारी न मिलने से अधिकतर खाली हाथ घर जाना पड़ता है स्थिति यही से बिगड़ती घरेलू क्लेश ओर बिना कमाई के परिवार पालन पोषण कैसे होगा कि चिंता में पड़कर हताश ओर निराश हो जाते हैं।
मामला प्राइवेट वाहनो से जुड़ा है,आलम यह है कि जिन सवारियो को व्यावसायिक वाहनो को ढोना चहिए था आज उन सवारियो को प्राइवेट वाहन खुले आम ढोने का काम कर रहे है,और व्यवसायिक वाहन दिनभर टैक्सी स्टेण्ड पर खड़े होकर सवारियो का इंतजार कर रहे है। लेकिन टैक्सी मालिकों/चालको को हवा तक नही लग पा रही है कि निजी वाहन स्वामी कब और कहा से सवारी बैठकर ला रहा है।
अब इसे विडम्बना कहैँ या यूनियन की लापरवाही, जिनके चलते कई वाहन चालको के घर पर चुल्हे तक नही जल पा रहे है। आखिर न परिवहन विभाग इन निजी वाहनो मे सवारी ढो रहे मालिको पर अंकुश लगा पा रहा है, और ना ही टैक्सी यूनियन के सदस्य।
वासुदेव टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष श्री हरीश पुण्डीर का कहना है कि निजी वाहन स्वामी अपने सगे सम्बन्धियों को ले जाने की बात करते हैं, जबकि कुछ वाहन लगातार चलने के बावजूद भी सवारियो को अपने पक्ष मे करने के बाद हत्थे नही चढ पाते हैं।