केदारनाथ में महिला के साथ दुष्कर्म का प्रयास पर कुछ सुलगते अनसुलझे सवाल

भाजपा महिला मोर्चा की जिला संगठन सदस्य के साथ केदारनाथ में हुई छेड़छाड़ की घटना,
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 केदारनाथ में महिला के साथ दुष्कर्म का प्रयास पर कुछ सुलगते अनसुलझे सवाल 

पीड़िता बीजेपी की जिला पदाधिकारी है और बीजेपी के नेताओं के द्वारा कोई भी प्रतिकार तो बड़ी बात है पर एक शब्द न कहना सबसे बड़े सवाल खड़े करता है। 

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली पार्टी का कोई बड़ा या छोटा चेहरा अपने  जिला संगठन की नेत्री के साथ हुई छेड़छाड़ के मामले पर सामने न आने व विपक्ष का इस मुद्दे पर कोई बयान तक जारी न करना हैरानी की बात है। आखिर क्यों इस गंभीर मुद्दे पर वह पक्ष खामोश है जिसके कुर्ते  पर हर समय कलफ लगा रहता है। 

 भाजपा महिला मोर्चा की जिला संगठन सदस्य के साथ केदारनाथ में हुई छेड़छाड़ की घटना की गूंज आम जनमानस तक पहुंच चुकी है पर भाजपा के नेताओं की तरफ से कोई प्रतिकार न होना  कई सवाल खड़े करता है। 

केदारनाथ धाम जैसे पवित्र स्थान पर किसी महिला के साथ दुराचार का प्रयास करना, महिलाओं की सुरक्षा पर सरकार पर भी कई सवालिया निशान उठते है, जो भारतीय जनता पार्टी चाल चरित्र की बाते करती है वही पार्टी अपने जिला कार्यकारणी के महिला पदाधिकारी के साथ क्यों समय पर खड़ी नही हुई, जो पार्टी बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा देकर वाहवाही लुटती है क्यों उनकी पीड़ित को जिले पदाधिकारी को अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए डीजी पुलिस उत्तराखण्ड को पत्र भेजने की जरूरत पड़ी। क्यों 5 दिनों के  इंतजार के बाद  सोनप्रयाग थाने को  मुकदमा दर्ज करना पड़ता ये सवाल सभी के जेहन में जरूर उठ रहे होंगे क्या किसी सफेदपोश का इसमें हस्तक्षेप हो रहा था ये सब। 

महिला के साथ दुष्कर्म का प्रयास पर कुछ सुलगते अनसुलझे सवाल।

1 - केदारनाथ जैसे पवित्र स्थल पर इस तरह का कृत्य होना और वहां पर कोई प्रतिकार न होना। 

2 - दुष्कर्म के प्रयास का आरोपी  ऐसे समाज से है जो हक हकूक और धाम में पूजन क्रियाविधि को सम्पादित करवाते हैं इस समाज से भी कोई आवाज़ न उठना कहीं न कहीं सवाल खड़े करता है। 

3- पीड़िता बीजेपी की जिला पदाधिकारी है और बीजेपी के नेताओं के द्वारा कोई भी प्रतिकार तो बड़ी बात है पर एक शब्द न कहना सबसे बड़े सवाल खड़े करता है। 

4 - सत्तापक्ष के विपक्ष में खड़ी पार्टियां जो हर समय संविधान खतरे में है, बेटी हूँ लड़ सकती हूँ का नैरा बुलंद किये रहती की चुप्पी भी मौन स्वीकृति प्रतीत होती है।

5 - अन्य समुदाय से ये खबर होती तो क्या छूट भैया से लेकर बड़े भैया तक सभी खुद ही पुलिस व जज बनकर फैसला न सुना देते।

6 -  भाजपा के जिला संगठन पर सवाल खड़े होना लाजमी है क्योंकि जिसे जिले में चाल, चरित्र का पहरेदार बना रखा है वही पीड़िता पर शिकायत न करने का दबाव बना रहा है।

7-  घटनास्थल से मात्र 100 मीटर की दूरी पर पुलिस की रिपोर्टिंग चौकी होने और पीड़िता के द्वारा दी गयी शिकायत के बावजूद भी शिकायत दर्ज न होना इसका कारण क्या रहा जबकि महिला सुरक्षा की बातें होती हैं। 

8 - मीडियाकर्मियों के इस मुद्दे पर मुखरता से आवाज़ उठाना व डीजीपी के कहने पर 4 दिन बात एफआईआर दर्ज हो सकी, यह देरी किसके दबाव में हुई यह सबसे बड़ा जॉच का विषय है।

8 - पीड़िता ने अपनी शिकायत में लिखा है कि मेरी ही पार्टी के कुछ बड़े नेता मुझ पर शिकायत वापस लेने का दबाव बना रहे हैं, जॉच में ऐसे चेहरों को जनता के सामने बेनकाब किया जाएगा या नहीं

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