चौलाई की फसल पर कीड़ा लगने काश्तकारों के चेहरे छायी उदासी

किसान की आय दुगनी करने का।सपना तोड़ता कृषि विभाग,
खबर शेयर करें:

 रामरतन पवांर/जखोली।

चौलाई की फसल पर कीड़ा लगने काश्तकारों के चेहरे छायी उदासी।

मुख्य कृषि अधिकारी की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है काश्तकारों को।

किसानों की आय दुगनी का सपना कृषि विभाग की लापरवाही के कारण कैसे होगा पूरा।

किसानों का कहना है कि आय दुगनी न हो पर जो जेब से खर्च हुआ और मेहनत लगी उतना तो मिले पर इस बार भी किसान आसमान को ताकता रह जायेगा।

जखोली। सरकार और कृषि  मंत्री कहते हैं कि स्थानीय अनाज  और जैविक खेती को बढ़ावा दो  उनमें से एक फसल रामदाना(चौलाई) भी है जो कि किसानों की आजीविका का साधन भी है । उस पर ही यदि सरकारी नुमाइंदे ध्यान न दे और ऑफिसों में बैठे बैठे कुर्सी तोड़े और कृषि को लेकर हवाई बातें करें तो यह एक काश्तकारों के साथ मजाक करने जैसा लग रहा है ।

 जनपद के जखोली ब्लॉक के दर्जनों गाँवो मे चौलाई की फसल सबसे अधिक मात्रा मे होती थी। जिससे कि काश्तकारों के चेहरे पर चौलाई को देखकर मुस्कान रहती थी। यहां के काश्तकारों की आजिविका का अधिकांश साधन आलू और चौलाई की खेती ह़ै। लेकिन पिछले दो बर्षो से चौलाई मे कीड़ा लग जाने के कारण काश्तकारों की सारी फसल बर्बाद हो रही है। 

   रुद्रप्रयाग के प्रत्येक विकासखंडों मे कृषि विभाग ने काश्तकारों की समस्याओं के समाधान के लिए न्याय पंचायत प्रभारी भी रखे गये हैं। ताकि वो समय समय पर प्रत्येक गाँवो मे काश्तकारों के साथ बैठक कर फसलों के बीज, खाद और फसल पर लगने वाली बीमारियों या विभिन्न प्रकार के रोगों के रोकथाम के बारे मे बताये। लेकिन आलम ये है कि न्याय पंचायत प्रभारी द्वारा ग्रामीण काश्तकारों के साथ जानकारी देने से संबंधित कोई बैठक नही की जाती, अगर कही की भी गयी होगी तो केवल खानापूर्ति के लिए।

विकासखंड जखोली के त्यँखूर, लुठियाग, बुढ़ना, पालाकुराली, धनकुराली सहित बांगर, सिलगढ़ क्षेत्र मे टनो के हिसाब से चौलाई की खेती की जाती थी लेकिन वर्तमान समय मे फसल मे कीड़े लग जाने के कारण काश्तकारों ने अब चौलाई की खेती करनी बहुत कम कर दी है। काश्तकारों का कहना है कि जखोली मे इतने सालो से चौलाई मे लगातार कीड़ा लग रहा है, और जनपद रुद्रप्रयाग के मुख्य कृर्षि अधिकारी चैन की नींद सो रहे है।क्या मुख्य कृर्षि अधिकारी का दायित्व नही है  कि वे क्षेत्र भ्रमण कर काश्तकारों की समस्याओं को सुने और समय पर समस्या का निधान करे।

वही पालाकुराली की प्रधान,पूर्व जेष्ठ प्रमुख चैन सिह पवांर, श्रीमती कमला देवी,लुठियाग के प्रधान, दिनेश कैन्तूरा, धनकुराली के प्रधान धूम सिह राणा, देवल गाँव के प्रधान शम्भू प्रसाद उनियाल ने कहा कि सरकार काश्तकारों की आजीविका को दुगना करने की बात कर रही, क्या इस तरह से आजिविका का साधन बढ़ सकता है।

   जनप्रतिनिधियों का कहना है कि जब तक जनपद रुद्रप्रयाग मे ऐसे निकम्मे अधिकारी कुर्सियों मे बैठे रहगे तब तक काश्तकारों का भला नही हो सकता है। कृषि अधिकारी काश्तकारों को चौलाई मे लगने वाले कीड़े मारने की दवा नही मंगा सकते है, तो वो काश्तकारों का क्या भला कर सकते है।

  केवल नीम आँयल ही कीड़े का एक मात्र उपचार नही हो सकता है अन्य दवा भी मंगवा सकते थे। जनपद रुद्रप्रयाग मे लगातार कृषि मंत्री का आना जाना लगा है। लेकिन एक भी बार कृषि अधिकारी ने काश्तकारों की हो रही उपज के बारे मे एक भी शब्द नही बोला और ना ही काश्तकारों को नगदी फसल खराब होने के एवज मे मुआवजा देने की बात की। हाँ इतना जरूर  है, कि सोशल मीडिया पर खबर पढने के बावजूद न्याय पंचायत प्रभारी बजीरा को त्यँखूर गांव भेज दिया।

त्यँखूर गांव के काश्तकार हयात सिह बुटोला, मोहन सिह राणा, सूरबीर सिह राणा, बलवीर सिह पवांर, सुरेन्द्र सिह पवांर ने सरकार से उचित मुआवजे की माँग की।

खबर पर प्रतिक्रिया दें 👇
खबर शेयर करें:

हमारे व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ें-

WhatsApp पर हमें खबरें भेजने व हमारी सभी खबरों को पढ़ने के लिए यहां लिंक पर क्लिक करें -

यहां क्लिक करें----->