रामरतन पवांर/गढ़वाल ब्यूरो।
चौलाई की फसल पर कीड़ा लग जाने से काश्तकारों की सारी फसल चौपट।
न्याय पंचायत स्तर पर कृषि विभाग के कर्मचारी होते हैं और खेती किसानी की समस्या का समाधान यदि कृषि विभाग ने नही करना तो किसान आसमान को ही देखेगा।
जखोली- विकासखंड जखोली के अन्तर्गत दर्जनों गाँवो मे विगत तीन सालो। मे चौलाई की फसल पर लगातार कीड़ा लग जाने। से काश्तकारों की सारी फसल चौपट हो गयी है।
आपको बता दे कि लस्या पट्टी से लेकर और बांगर व सिलगढ के दर्जनों गाँवो मे इस समय काश्तकारों की चौलाई की फसल होती है, जिसमे अधिकतर त्यँखूर, लुठियाग, चिरबटिया, बुढ़ना, पालाकुराली, धनकुराली सहित कई गाँवो मे कीड़ा लगने से के कारण चौलाई बरवाद हो चुकी है।
एक समय था जब काश्तकार चौलाई की पैदावार को अधिक मात्रा मे बढ़ाने का प्रयास करते थे ताकि ग्रामीण चौलाई को बेच कर अपने परिवार का भरण पोषण सही तरीक़े से करते थे।
लेकिन अब चौलाई पर कीड़ा लगने के कारण ग्रामीणों ने अपने खेतो मे चौलाई की बुवाई करनी बहुत कम कर दी है। कृषि विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को तो चौलाई मे लगने वाले कीड़े के बारे मे तो शायद कोई जानकारी ही नही है।
आजतक विभाग का कोई .भी अधिकारी गाँवो मे भ्रमण करने तक नही आते हैं। हाँ अधिकारी इतना जरूर बोलेगें कि काश्तकारों को जाँच के बाद मुआवजा दिया जायेगा।
काश्तकार सूरबीर सिह राणा, सुरेन्द्र सिह पवांर, बलवीर सिह पवांर, गंभीर सिह पवांर आदि काश्तकारों का कहना है कि गाँवो मे 80 फीसदी चौलाई की फसल कीट के प्रकोप से बर्बाद हो जाती है। ग्रामीणों का ये भी कहना है कि अगर कृषि विभाग का कोई अधिकारी गाँवो मे आकर चौलाई या अन्य फसलों पर लगने वाले कीट या बिमारी के बारे मे ग्रामीण को जानकारियां देते और फसलो के ऊपर कौन सी दवा का छिडकाव करना है के बारे बताते तो शायद चौलाई बच सकती थी, लेकिन विभाग द्वारा कोई जानकारी नही दी जाती है।
न्याय पंचायत स्तर पर कृषि विभाग के कर्मचारी होते हैं और खेती किसानी की समस्या का समाधान यदि कृषि विभाग ने नही करना तो किसान आसमान को ही देखेगा।