पाखरो रेंज घोटाला का जिन्न - CBI ने मांगी पूर्व डीएफओ किशनचंद और बृज बिहारी के खिलाफ अभियोजन की अनुमति

पाखरो रेंज घोटाला का जिन्न - CBI ने मांगी पूर्व डीएफओ किशनचंद और बृज बिहारी के खिलाफ अभियोजन की अनुमति,
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 पाखरो रेंज घोटाला का जिन्न - CBI ने मांगी पूर्व डीएफओ किशनचंद और बृज बिहारी के खिलाफ अभियोजन की अनुमति। 


 किशनचंद अपने कार्यकाल में विवादित निर्णयों के लिए प्रसिद्ध थे, किशनचंद के द्वारा की गयी वन आरक्षी की भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों को भी जाँच में सम्मिलित किया जाना चाहिए।

एक ही मैदानी जनपद से अभ्यर्थियों का सफल होना कहीं न कहीं संशय पैदा करता  है। 

कॉर्बेट नेशनल पार्क की पाखरो रेंज घोटाले के मामले में सीबीआई ने पूर्व डीएफओ किशन चंद और रेंजर बृह बिहारी शर्मा के खिलाफ अभियोजन चलाने की अनुमति मांगी है। दोनों के खिलाफ विजिलेंस भी चार्जशीट दाखिल कर अभियोजन की अनुमति मांग चुकी है। लेकिन विजिलेंस को अभियोजन चलाने की अनुमति नहीं दी गई थी।

   इस मामले की जांच अब सीबीआई कर रही है तो सीबीआई ने विजिलेंस के पत्र के आधार पर ही शासन को अभियोजन चलाने हेतु रिमांइडर भेजा है कि अब इस अनुमति को सीबीआई को दिया जाना है।

विजिलेंस ने पूर्व रेंजर बृज बिहारी शर्मा को गिरफ्तार भी किया था। लेकिन, पूर्व डीएफओ किशनचंद को न्यायालय से स्टे मिल गया था। विजिलेंस ने जब न्यायालय में इसे चुनौती दी तो गिरफ्तारी के बिना ही चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति मिल गई।

मामला विश्व प्रसिद्ध जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरों रेंज के 106 हेक्टेयर वन क्षेत्र में टाइगर सफारी को बनाने को लेकर था।  कार्बेट में टाइगर सफारी का निर्माण वर्ष 2019 में  बिना वित्तीय स्वीकृत्ति के शुरू कर दिया गया। स्वीकृति से अधिक पेड़ काटने व अवैध निर्माण की शिकायत मिलने पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की टीम ने स्थलीय निरीक्षण किया था। जिसमें अनियमितताएं सामने आई। जांच आख्या के बाद शिकायत हुई और विजिलेंस ने इसकी जांच शुरू की। जिसे अब सीबीआई और ईडी के द्वारा किया जा रहा है। 

कार्बेट में अवैध कटान और अवैध निर्माण की शिकायत के पश्चात वर्ष 2022 में विजिलेंस ने पूर्व डीएफओ किशनचंद और रेंजर बृज बिहारी शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। दोनों पर आरोप था कि पार्क के कालागढ़ डिविजन की पाखरो रेंज में टाइगर सफारी के नाम पर 215 करोड़ रुपये बर्बाद कर दिए गए। दूसरे मद का पैसा डीएफओ और रेंजर से सांठगांठ कर टाइगर सफारी के काम में खपा दिया। ठेकेदार से काम की एवज में बड़ी रकम ली गई थी। यह मामला वन महकमें में चर्चा का विषय रहा। 

विजिलेंस के द्वारा पूर्व रेंजर बृज बिहारी शर्मा को गिरफ्तार भी किया था। इसी मामले में  पूर्व डीएफओ किशनचंद को कोर्ट से स्टे मिल गया था। विजिलेंस ने जब इसे न्यायालय में चुनौती दी तो गिरफ्तारी के बिना ही चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति मिल गई।

    विजिलेंस ने दोनों के खिलाफ वर्ष 2023 में चार्जशीट दाखिल कर दी और शासन से इनके खिलाफ अभियोजन चलाने की अनुमति मांगी। लेकिन विजिलेंस को यह अनुमति नहीं मिली।

याचिका कर्ता  के द्वारा इस मामले को हाईकोर्ट में सुनवाई के लगाया गया तो इसी बीच हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। सीबीआई ने जांच शुरू की और विजिलेंस के तथ्यों के आधार पर ही इस चार्जशीट को सही माना। अब इन दोनों आरोपियों के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए अनुमति की आवश्यकता थी तो सीबीआई ने विजिलेंस के पत्र को ही आधार मानते हुए शासन को रिमाइंडर भेजा है। जल्द ही किशनचंद और बृज बिहारी के खिलाफ अभियोजन चलाने की अनुमति सीबीआई को मिल सकती है।

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