रामरतन पव़ांर/गढ़वाल ब्यूरो।
मुख्य बाजार मयाली मे आये दिन बनी रहती है जाम की स्थिति फिर भी पुलिस प्रशासन मौन।
दुकानदारों द्वारा सड़क पर दुकान का समान रखना और अपने दुपहिया वाहन दुकान के आगे खड़ा करने से लग रहा सबसे ज्यादा जाम।
मयाली में नई पार्किंग का निर्माण होने के बाद भी पार्किंग में वाहन खड़े नही होते यह समस्या मयाली बाजार में स्थित टेक्सी यूनियन को देखनी होगी सवारी को उतारने के बाद सवारी वाहन पार्किंग में हों खड़े।
यातायात को सूचारु रुप से संचालित करने हेतू यातायात पुलिस की होती है अहम भूमिका, लेकिन नही है कोई उचित व्ववस्था।
जखोली-मुख्य बाजार मयाली मे आये दिन जाम की स्थिति बनी रहती है, अक्सर जाम लगने का मुख्य कारण सड़क के दोनो ओर गलत तरीके से वाहनो को खड़ा किया जाना है। वही मयाली तिराहे पर वाहन को गलत ढंग से पार्किंग किया जाता है, मख्य तिराहे से जखोली-रणधार मोटर मार्ग पहले से ही संकरी है जिसके दोनो तरफ दुपहिया वाहन सहित सड़क पर व्यापारियों द्वारा सामान को भी लगाया जाता है ।
बार-बार मयाली बाजार मे जाम लग जाने से आम जनता को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है ऐसी स्थिति मे पुलिस प्रशास. की जाम हटाने मे अहम भूमिका होनी चहिये थी लेकिन पुलिस प्रशासन का एक भी सिपाही कभी भी मयाली बाजार मे नही दिखाई देते, मात्र होम गार्ड के जवान ही कभी कभार जाम जाम से निजात जरूर दिलाते है।
आपको बता दे कि 21 नवंबर को सुबह से ही मयाली मे भारी जाम लगना शूरू हो गया था लेकिन न कोई होमगार्ड का जवान न पुलिस का जवान मयाली बाज़ार मे नजर तक नही आये तो फिर ऐसी स्थिति मे जाम को हटायेगा कौन।
बाजार मे बार बार इस प्रकार से जाम लगना पुलिस प्रशासन पर भी सवालिया निशान उठने लाजमी है, मयाली बाजार से हर साल चार धाम जाने वाले वाहन भी गुजरते हैं और यात्रा को मध्य नजर रखते हुए यातायात को सूचारु रखने के लिए ट्रेफिक पुलिस की तैनाती जरुरी है, लेकिन प्रशासन ने ऐसी कोई व्यवस्था नही की।
मयाली बाजार से जाम हटाने के लिए व्यापारियों और वाहन स्वामियों का सहयोग आवश्यक है क्योंकि मयाली-रणधार मोटर मार्ग पर अनावश्यक वाहन खड़े करना और जिन व्यापारियों द्वारा दुकान से बाहर सड़क पर समान रखा जा रहा है ऐसे समान न लगाया जाये जिसके लिए व्यापार संघ मयाली को संज्ञान लेना होगा। जाम के झाम से मुक्ति सभी के सहयोग से मुमकिन है इस और सभी संबंधित व्यक्ति, संस्था और प्रशासन को ध्यान देना होगा।


