राज्य आंदोलनकारियों की पेन्शन बंद करके सरकार कर रही राज्य का अपमान।
आंदोलनकारियो ने बंद पेंशन को बहाल किये जाने से सम्बंधित जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राज्यपाल को भेजा ज्ञापन।
जखोली-उत्तराखंड आंदोलन मे अपनी सक्रिय भूमिका निभाने वाले आंदोलनकारियों सरकार ने कम उम्र के लोगो को नौकरी व अधिक उम्र के आंदोलनकारियों को सम्मान रुप से पेन्शन देने का प्रावधान किया था। जो कि नियमानुसार आंदोलनकारियों को राज्य सरकार सम्मान रुप से दे रही थी
लेकिन बर्ष 2016 मे बिना किसी कारण से आंदोलनकारियों की पेन्शन को बंद कर दी गयी। वही जखोली मे दो राज्य आंदोलनकारी हयात सिह राणा व बालकृष्ण सेमवाल जिनको कि बराबर पेन्शन मिल रही थी। लेकिन इन दोनो राज्य आंदोलनकारियो की पेन्शन ब़द हुए आज सात साल का समय गुजर चुका है, जिस कारण से ये दोनो अपने हक के लिए बार-बार सरकार से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन इन आंदोलनकारियो की बातो को अनसुना किया जा रहा है। इस सम्बन्ध मे इन्होंने एक ज्ञापन जिलाधिकारी. रुद्रप्रयाग के माध्यम से महामहिम राज्यपाल उत्तराखंड शासन को भी भेजा ।
ज्ञापन मे उन्होंने कहा कि सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद हमने उत्तराखंड पृथक राज्य की माँग के लिए आंनदोलन किया था जो अहिंसात्मक चल रहा था।
इस आंदोलनके दौरान शासन प्रशासन ने हमे कई यातनाएं दी पुलिस द्वारा हमे बेरहमी से पीटा गया पुलिस फायरिंग के दौरान पाँव मे गोली लगी, यहाँ तक 14 दिन तक जेल रखने के बाद हमे घायल अवस्था मे अपने हाल मे छोड़ दिया गया।
उतराखंड राज्य प्राप्ति के बाद शासनादेश सं 12/69/30/2- 2004 को आंदोलनकारी घोषित कर सम्मान पेन्शन लागू कर दी गयी जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री मेजर जनरल भुवनचंद्र खंडूड़ी द्वारा करवाया गया था।
तत्पश्चात पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने पेन्शन मे बढोत्री करायी थी। लेकिन आज पेन्शन बंद करवा कर उनका घोर अपमान किया गया।
आंदोलनकारी हयात सिह राणा व बालकृष्ण सरकार पर आरोप लगाया है कि बिना संसदीय कार्यवाही के हमारी पेन्शन पर रोक लगायी गयी है जो कि न्यायोचित नही है।