जखोली के दर्जनों गाँवो मे लंपी बिमारी पशुओं पर बरपा रही है कहर, फिर भी पशुपालन विभाग बैठा मौन

जखोली के दर्जनों गाँवो मे लंपी बिमारी पशुओं पर बरपा रही है कहर
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 रामरतन पवांर/गढ़वाल ब्यूरो।

जखोली के दर्जनों गाँवो मे लंपी बिमारी पशुओं पर बरपा रही है कहर, फिर भी पशुपालन विभाग बैठा मौन।

लंपी बिमारी से पीड़ित कई परिवार अपने बीमार गाय, बैलो को छोड़ रहे है जंगलो व सड़कों में, जिससे और भी संभावना बनी है इस बिमारी फैलने की।

जखोली- विकासखंड जखोली के दर्जनों गाँवों मे जानवरो मे होने वाली लंपी नामक बिमारी ने इस प्रकार पाँव फैला दिये कि अब खत्म होने का नाम नही ले रही है। इस वायरस के चलते गाँवो मे कई पशु चपेट मे आ रहे हैं। पिछले कुछ समय से इस बीमारी से दर्जनों पशुओं की मौत हो चुकी है।

आपकी जानकरी के लिए बता दे कि ग्राम पंचायत त्यूँखर, लुठियाग, बुढना, पालाकुराली, गोर्ती, सहित जखोली के दर्जनों गाँवो मे इस बिमारी का प्रकोप चरम सीमा पर है, गाँवो मे इन बीमार पशुओं को सही ढंग से दवा न मिलने के कारण कोई पशु आज तक दम तोड़ चुके है। अगर काश्तकारों की माने तो कई गाँव ऐसे भी है जहाँ बुलाने के बावजूद भी पशु विभाग की टीम आज तक भी नही पहुंची है।

सच तो यह है कि जिला प्रशासन द्वारा इस बिमारी से निपटने के लिये अभी कोई खास रणनीति नही बनायी जिससे कि हर गाँवो मे बीमार पशुओं के इलाज के लिए पशु विभाग द्वारा टीमे भेजी जा सके, पशुपालन विभाग अभी तक ठोस कदम नही उठा रहा, आलम यह है कि पशु अस्पताल में दवाईयों का अभाव और पशुपालक दवाईयों के लिए निजी मेडिकल स्टोरों से दवाईयां खरीद करने को मजबूर हैं। 

    कई लोगो का ये भी कहना है कि फोन पर सूचना देने के पश्चात भी विभाग का कोई भी डाक्टर, फार्मेसिस्ट गाँवो मे बिमार पशुओं को देखने तक नही आ रहे, जिससे की विभागीय लापरवाही के चलते दर्जनों मवेशी दम तोड़ रहे है। पशुपालन विभाग रुद्रप्रयाग में सेवा दे रही एम्बुलेंस सेवा खानापूर्ति तक सीमित है।

यही ही नही कुछेक परिवार आपने बिमार मवेशिया को जंगलों या सड़कों पर छोड़ रहे हैं, जिस कारण से इस बीमारी फैलने की ज्यादा संभावना बनी हुईं है।

 

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