बजीरा गांव मे बंदरो का भारी आंतक, काश्तकारों की नगदी फसल को कर रहे है तहस-नहस

जंगली जानवरों के आतंक से ग्रामीण परेशान, जंगली जानवरों से बचने का उपाय क्या है,
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 रामरतन पवांर/गढ़वाल ब्यूरो

बजीरा गांव मे बंदरो का भारी आंतक, काश्तकारों की नगदी फसल को कर रहे है तहस-नहस।

बंदरो के आंतक से लोग परेशान प्रशासन बैठा है मौन।

जखोली- विकासखण्ड जखोली के दर्जनों गाँवो मे बंदरो का आतंक इस कदर बढ़ गया आज गाँव का हर जनमानस परेशान हैं। गाँवो मे दिनप्रतिदिन बंदरो की संख्या इस कदर बढ़ रही है कि काश्तकार अब अपनी जमीन को बंजर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।

ज्ञात हो कि ग्राम पंचायत बजीरा मे दो माह के अन्दर लगभग 200 बंदर अलग अलग माह मे छोड़े गये हैं ,इससे पूर्व बजीरा गाँव मे एक भी बंदर नही थे।और स्थिति इस प्रकार आ गयी है कि बजीरा गाँव मे बंदरो द्वारा कीवी, अखरोट, माल्टा, सेब, सहित साग ,सब्जियों को भारी नुकसान पहुंचा रहे है,वही विश्वस्त सूत्रो के हवाले से पता चला है कि जिस संस्था को वन विभाग ने बंदरों को पकड़ने का ठेका दे रखा है। उस संस्था के द्वारा पकड़े गये बंदरो को बजीरा गाँव के निकट छोड़ा गया है जो बंदर आज काश्तकारों के लिए मुसीबत बन चुके है।

बजीरा के वन पंचायत सरपंच महावीर सिह राणा ने बताया कि  काश्तकारों के खेतो मे बोयी सफल को बंदरो द्वारा इस कदर तहस नहस किया जा रहा कि काश्तकार देखकर रो पड़ रहा है।

काश्तकार सूरबीर सिह रावत ,अनिल सिह ,जीत सिंह मीना देबी आदि का कहना है कि वन विभाग द्वारा यदि इन बंदरों को पकड़ने के लिए कोई ठोस कदम नही उठाते है तो आने वाले समय मे काश्तकार अपनी जमीन को बंजर छोड़ने को मजबूर हो जायेगा, उन्होंने कहा कि अगर वन विभाग बंदरो को पकड़ने हेतू शीघ्रातिशीघ्र  कार्यवाही नही करता है तो मजबूरन हमे जनान्दोलन करने मे मजबूर होना पड़ेगा।

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