पशुपालकों के लिए परेशानी का सबब बन गया लम्पि वायरस।
जनपद रुद्रप्रयाग के ग्रामीण क्षेत्रों में गोवंश लम्पि महामारी की चपेट में।
आखिर कैसे होगा इलाज इसके लिए परेशान पशुपालक।
जिला पशुचिकित्सा अधिकारी से पशुपालकों की अपील लम्पि वायरस से जूझ रहे पशुओं को चिकित्सकीय सहायता केम्पों के आयोजन या मेडिकल वाहन से औषधियों की आपूर्ति की जाय।
जनपद रुद्रप्रयाग के विकासखण्ड उखीमठ, अगस्त्यमुनि ओर जखोली में गोवंश पशु लम्पि वायरस की चपेट में हैं इस वायरस से पीड़ित पशु किस कदर जूझ रहैं हैं यह उनके शरीर पर बने घाव से अंदाजा लगाया जा सकता है। संक्रामक बीमारी होने के चलते यह बीमारी ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच चुकी है।
पशुओं की हो रही लगातार मृत्यु ओर संक्रमण के कारण पशुपालक हताश ओर निराश हो चुके हैं। पहले ही पहाड़ पलायन का दंश झेल रहा है और खेती बंजर हो रही है जो लोग यहां रहकर पशुपालन कार्य कर रहें हैं उन लोगों में इस लम्पि बीमारी के कारण हताशा ओर निराशा का माहौल बना हुआ है।
बाजारों में घूम रहे आवारा पशुओं पर यह बीमारी फेल रही है जिससे कि अन्य पशुओं पर संक्रमण का खतरा अधिक हो गया है। इस समस्या के समाधान के लिए जिला प्रशासन आवारा पशुओं के लिए अलग शेड बनाये जिससे आवारा पशुओं की समस्या का समाधान के साथ साथ लम्पि वायरस के संक्रमण का खतरा भी कम हो पायेगा।
लम्पि वायरस में क्या सावधानियां रखें-
1- संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु से अलग रखें।
2- पशुओं को साफ व ताजा पानी दें।
3- संक्रमित पशु को हल्का गर्म पानी पिलाएं।
4- संक्रमित पशु को हल्का बुखार या तेज बुखार होने पर बुखार उतारने के लिए चिकित्सक की सलाह पर दवाईयां खिलाएं।
5- अधिकतर संक्रमित पशु में देखा गया है कि बार बार पशु मूत्र त्याग कर रहें हैं जिससे की पशुओं पर बने घावों में वृद्धि हो रही है इस समस्या का समाधान सफाई की व्यवस्था ओर विछावन को साफ सुथरा रखें।
6- पशुओं को गुनगुने पानी मे फिटकरी डालकर सूती कपड़े से पूरे शरीर को सफाई करें।
7- घाव बनने पर घाव की सफाई को निरन्तर करें व पशु चिकित्सक से परामर्श लेकर घाव सुखाने की दवाई का प्रयोग करें।
8- नीम या डेकन की पत्तियां, काली मिर्च, लोंग, जीरा, अजवाइन लगभग बराबर बराबर मात्रा में पीसकर एक एक गोली बनाकर सुबह शाम देने से इस बीमारी में पशुओं को लाभ होता है।


