रामरतन पवांर/गढ़वाल ब्यूरो।
ग्राम पंचायत त्यूँखर मे जंगली सूअरो के आंतक से ग्रामीण परेशान।
सूअरों द्वारा काश्तकारों की फसलो को भारी मात्रा पहुंचाया जा रहा है नुकसान। नुकसान की भरपाई हेतू काश्तकार कर रहे है वन विभाग से उचित मुआवजे की माँग।
जखोली- विकासखंड जखोली के दर्जनों गाँवो मे सूअरो के आंतक से काश्तकार परेशान है।
आलम यह कि जंगली सूअरो का झुण्ड गाँवो मे आकर खड़ी फसलो को भारी नुकसान पहुँचा रहे है।
आपकी जानकारी के बता दे कि ग्राम पंचायत त्यूँखर मे जंगली सूअरो ने इस प्रकार आंतक मचा रखा है कि सूअरो के द्वारा ग्रामीणों की गेहूँ की खड़ी फसल को रौंद कर तबाह कर दिया है।
आखिर ग्रामीण क्षेत्रो मे सूअरों की तादाद इतनी बढ़ चुकी है कि अब काश्तकार अपने खेतो मे धीरे धीरे बीज बोना बंद कर रहा है और जमीन को बंजर छोड़ने मे मजबूर हो गया है। इसका उदाहरण सबसे अच्छा देखना है तो पौड़ी जनपद जो सबसे ज्यादा आबाद भूमि को बंजर भूमि में बदलने में नम्बर एक पर है क्योंकि 2007 से 2012 के आसपास तक अधिकतर खेतों में उड़द की दाल प्रमुखता से व अन्य खाद्यान्न बोए जाते थे इस बीच अधिकतर किसानों ने खेती छोड़ी आज गावँ के गावँ खाली हो गए उसके बाद पलायन आयोग का गठन हुआ जो खुद ही पलायन कर गया। ऐसी स्थिति रुद्रप्रयाग जनपद की न हो क्योंकि लगभग एक जैसी परिस्थिति बन चुकी हैं।
सरकार ग्रामीण क्षेत्रो मे लोगो की आय दोगुनी करने की बात कर रही, क्या ऐसी परिस्थितियों मे काश्तकारों की आय क्या दोगुनी हो सकती है ये एक विचारणीय सवाल है। वही सरकार का ये भी दावा है कि कृषि विभाग द्वारा गांवो मे काश्तकारों की फसल को जंगली जानवरो से बचाव हेतु घेरबाड़ की भी उचित व्यवस्था की गयी है लेकिन सरकार की ये योजना आज तक आम जनता के गले नही उतर पायी। इसका कारण यह है कि कृषि विभाग हो या उद्यान विभाग वही काश्तकार हैं जो दस साल पहले थे गिने चुने। जिला प्रशासन को चाहिए कि जांच हो कितने उकृष्ट कृषक हैं और उन्हें विभाग ने पिछले दस वर्षों से अभी तक किन किन योजनाओं या अन्य विभागीय सुविधा दी हैं।
अब सवाल ये भी उठता है कि अब ग्रामीण अपनी खड़ी फसलों को कैसे जंगली जानवरो से बचाये। ग्रामीण क्षेत्रों मे अधिकतर काश्तकार आज भी अपनी खेती-बाड़ी पर आश्रित रहते है। जिससे कि वो अपने परिवार का भरण पोषण करते है, लेकिन ये निवाला भी जंगली सूअर काश्तकारों से छीन रहे है। वही अगर वन विभाग की बात करे तो विभाग भी इन जंगली सूअरो से निजात दिलाने के लिए कोई ठोस कार्यवाही नही करता।
आखिर कब तक एक गरीब काश्तकार इन जंगली जानवरो की मार सहता रहेगा। सरकार काश्तकारों की इस समस्या के समाधान हेतू कोई ठोस कदम क्यों नही उठाती।
पूर्व क्षेत्रपंचायत सदस्य श्रीमती लौंगा देवी पवांर, सरत सिह पवांर, बलवीर सिंह पवांर, आदि ने कहा कि वन विभाग पहले त्यूँखर गांव मे काश्तकारों की खड़ी फसल जो कि सूअरो द्वारा तहस नहस की गयी का मौका मुयाना कर जिन काश्तकारों की फसल को सूअरो ने भारी नुकसान पहुँचाया है उन परिवारों को उचित मुवावजा देने की मांग की है।