विपक्ष की मांग भ्रष्टाचार के खिलाफ न हो जांच
सार्वजनिक शुचिता की व हर भ्रष्टाचारी को नाम ले लेकर कारागार के पीछे डालने की शपथ लेकर जो केजरीवाल जी सत्ता के आसन तक पंहुचे। वही आज भ्रष्टाचार की जांच होने पर मर्माहत हुए जा रहे हैं। अन्ना आन्दोलन के समय जिन लोगों का नाम ले लेकर उनको महाभ्रष्ट बता रहे थे आज उन्हीं के साथ भ्रष्टाचार की जांचों के विरुद्ध व जांचों को बन्द कराने के लिये पत्र लिख रहे हैं।
जिन लालू यादव के विरुद्ध बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने रेलवे में नौकरी के लिए भूमि के घोटाले के विरुद्ध आवाज उठाई। उनकी पार्टी के नित्यानन्द तिवारी ने प्रेस कांफ्रेस की, आज उन्हीं के साथ वह सत्ता में भागीदार हैं।
जो राहुल गांधी वायनाड से लोकसभा सांसद चुने जाते हैं, अनेकों विश्वविद्यालयों, शिक्षा केन्द्रों, पत्रकार वार्ताओं, संसद सत्रों, जनसभाओं को सम्बोधित कर चुके हैं, साथ ही तथाकथित भारतजोड़ो यात्रा के माध्यम से भारत के अन्दर तीन हजार किमी. से अधिक यात्रा करने के बाद कहते हैं कि नफरत कहीं दिखाई ही नहीं दी। वही राहुल अंग्रेजों के सामने भारत में मुझे कहने ही नहीं दिया जाता का राग अलाप रहे हैं। चीन के मुद्दे पर संसद सत्र को कई दिनों तक प्रभावित करने वाले राहुल आज चीन को एक देश के रुप सफल व शान्तिप्रिय बता रहे हैं।
जिन चौधरी चरण सिंह ने भारतीय एजेन्सियों को सबसे बड़ा आघात लगाया व रॉ का एक प्रकार से समूल नाश कर दिया था, जिन हामिद अंसारी के कारण उस रॉ का बहुत बड़ा नुकसान हुआ जिसके विकास लिये श्रीमती इन्दिरा गांधी प्रतिबद्ध थी।क्या ऐसे लोगों का विरोध करने का नैतिक साहस श्रीमान राहुल गांधी व उनकी टीम के अन्दर है?
श्वेत वस्त्र धारण करने का अर्थ यह ही रह गया है कि हम सारे नियम कानूनों से ऊपर हैं इसी अवधारणा को लेकर सत्ताशाही या यों कहें राजशाही सोच को लिये विपक्ष का लामबन्द होना व संवैधानिक संस्थाओं व मीडिया समूहों पर प्रश्नचिह्न खड़ा करना लोकतन्त्र के कितने हित या अहित में है? इसका उनको आभास भी नहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय, ईडी,सीबीआई, मीडिया व अन्यान्य संस्थाओं के दबाब होने की बात कहने वाले क्या यह बता सकते हैं कि आपातकाल के समय क्या हो रहा था? और कौन दबाब में था? शाह बानो के सम्बन्ध में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को पलटने में कौन दबाब में था?
संस्थाओं पर कब्जा बताने वाले बताएं पूर्व में शहीदों का अपमान करने वाली शिक्षण सामग्री को लिखने वालों को कब्जा किसने दिलाया था? ऐसे धूर्तों को जिनके अनुसार आर्य बाहर से आए थे और गुलाम वंश से पहले भारत का कोई इतिहास नहीं है साथ ही ये बताने वाले कि भारत की खोज एक विदेशी ने की थी कौन सी विचारधारा के थे?
महीनों से सलाखों के पीछे मंत्री का रहना और पद से त्यागपत्र न देना, महाराष्ट्र में कई सिपाहसलारों को न्यायिक हिरासत में भेजा जाना, शिक्षा मंत्री का जेल जाना, अपनी सरकार की जेल में रहते हुये केन्द्र पर साजिश के आरोप लगाना ऐसे अनेक हास्यास्पद व विपक्ष की अपरिपक्वता को दर्शित करने वाली दुर्घटनाएं नित्य हो रही हैं।
पक्ष विपक्ष की इस कुश्ती में विपक्षी दलनीत राज्यों में क्यों नहीं अपनी पुलिस का उपयोग कर केन्द्र में सत्ताधारी दल के उस राज्य में रहे कार्यकालों की जांच की जा रही है? और जो जांच करवा रहे हैं उनपर क्यों प्रश्नचिह्न लगाए जा रहे हैं?
ऐसे ही असंख्य प्रश्न आम जनमानस के मन पटल पर उभरेंगे और विपक्ष का आगामी चुनावों में बहुत बड़ा नुकसान ये प्रश्न कराएंगे।