ग्राम पंचायत त्यूंखर के राजकीय प्राथमिक विधालय नवदेव आगर मे विगत तीन माह से नही आ रहा है पीने का पानी

ग्राम पंचायत त्यूंखर के राजकीय प्राथमिक विद्यालय नवदेव आगर मे विगत तीन माह से नही आ रहा है पीने का पानी, बच्चों के लिए एमडीएम के खाना
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 रामरतन पवांर/गढ़वाल ब्यूरो।

ग्राम पंचायत त्यूंखर के राजकीय प्राथमिक विद्यालय नवदेव आगर मे विगत तीन माह से नही आ रहा है पीने का पानी।

 बच्चों के लिए  एमडीएम के खाना बनाने के लिए भोजनमाताओ को हो रही है भारी परेशानी।

21 दिन पूर्व जल संस्थान के अधिशासी अभियंता को स्कूल मे पानी न आने की दी गयी थी सूचना, लेकिन लापरवाही अधिकारी ने नही दिया कोई ध्यान।

जखोली-सरकारी तन्त्र मे बैठे लापरवाही अधिकारियों द्वारा समय पर जनता के कार्यों. न किया जाना उनकी कार्य शैली पर प्रश्नचिन्ह उठने जालमी है, सूचना देने के बावजूद भी अधिकारी द्वारा समन्धित विभाग के कर्मचारी को उस काम को करने हेतू सूचित न करना आम जनता के कार्यो के प्रति लापरवाही न कहे तो फिर क्या कहे।

ज्ञात हो कि ग्राम पंचायत त्यूंखर मे राजकीय प्राथमिक विधालय नवदेव आगर मे लगभग तीन माह से जलसंस्थान की लाईन मे पानी नही आ रहा है जिस कारण से स्कूल मे एमडीएम( MDM) भोजन बनाने मे भोजन माताओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है बच्चो के खाना बनाने के लिए  खाना के लिए भोजन माता द्वारा कही बहार से पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है है आखिर कब तक खाना बनाने व पीने के लिए पानी की ब्यवस्था विद्यालय कब तक करता रहेगा।

वही स्कूल के प्राधानध्यापक जसपाल बैरवाण ने बताया कि विद्यालय मे हर रोज बच्चों के लिये मध्याहन भोजन बनाया जाता है लेकिन स्कूल मे तीन माह से पानी न आने के कारण भोजन बनाने व पीने के पानी के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।उन्होने बताया कि इस बावत मैने स्कूल मे पानी न आने की बात फीटर से भी की लेकिन उन्होंने कहा कि आपको जो करना है आप करिये मै पानी नही लगाऊंगा, आखिर फीटर की ये कैसे मनमानी है।

आपको बता दे कि जब हमे स्कूल मे तीन माह से पानी न आने की सूचना मिली तो हमने 31 दिसंबर को जलसंस्थान के अधिशासी अभियंता को सूचना भी भेजी लेकिन 20 दिन गुजर जाने के बावजूद भी विभाग मे बैठे जिम्मेदार अधिकारियों ने विद्यालय मे पानी को सुचारू रुप से चलाने का कोई प्रयास नही किया.अब सवाल इस बात का है कि क्या जलसंस्थान मे बैठे अधिकारी क्यों नही जनता की समस्याओं को अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते है।

   आखिर अधिकारी,कर्मचारी जनता की सेवा के लिए है न कि जनता उनकी सेवा के लिए। इसी प्रकार से अधिकारी अगर विकास के नाम पर गुमराह करते रहेंगे तो फिर प्रशासन महत्व ही क्या रह जायेगा।

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