रामरतन पवांर/ गढ़वाल ब्यूरो
शिक्षा निदेशक के गलत फरमान से बिफरे अशासकीय विद्यालयो के शिक्षक।
निदेशक के पत्र पर शिक्षकों जताई कड़ी आपत्ति, शिक्षा मंत्री धन सिह रावत को इस बावत भेजा पत्र।
जखोली। अशासकीय माध्यमिक शिक्षक संघ रुद्रप्रयाग के पदाधिकारियों ने शिक्षा के स्तर में गिरावट और छात्र संख्या कम होने की टिप्पणी पर शिक्षा निदेशक के पत्र को तत्काल वापस लेने की मांग की।
संघ ने अशासकीय स्कूलों की उपलब्धियां गिनाते हुए उनके साथ हो रहे पक्षपात की ओर शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को पत्र भेजते हुए आपत्ति जताई है।
संघ के जिलाध्यक्ष बलवीर सिंह रौथाण व जिलामंत्री बीरेंद्र सिंह बर्तवाल ने शिक्षामंत्री डॉ धन सिंह रावत को अशासकीय स्कूलों की समीक्षा के बाबत जारी पत्र पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि सालाना भारीभरकम अनुदान के बावजूद अशासकीय स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता और छात्र संख्या संतोषजनक नहीं है।
शिक्षा निदेशक ने सीईओ को प्रतिदिन पांच पांच स्कूलों के प्रधानाचार्य को बुलाकर समीक्षा करने को कहा है। संघ के जिलाध्यक्ष ने कहा कि शिक्षा निदेशालय के पत्र की भाषा काफी आपत्तिजनक है।
पत्र के अनुसार अशासकीय विद्यालयों में शिक्षा का स्तर न्यून है, लिखा गया है। यह आपत्तिजनक है। उन्होंने कहा है कि अशासकीय स्कूल संसाधनों की कमी के बावजूद परीक्षाफल व अन्य पाठ्य सहगामी क्रियाओं में राष्ट्रीय स्तर तक प्रदर्शन, अनुशासन, स्वच्छता, समाज में मान्यता एवं स्वीकार्यता राजकीय विद्यालयों की अपेक्षा हर मामलों में बेहतर है।
अशासकीय विद्यालयों के शिक्षकों एवं कर्मचारियों को समीक्षा से कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन अशासकीय विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र छात्राओं के साथ सौतेला व्यवहार करने वाले पत्र को तत्काल वापस लिये जाने की मांग की है।
शासकीय स्कूलों की भांति अशासकीय विद्यालयों के विद्यार्थियों को भी टैबलेट, ड्रेस, पाठ्य पुस्तकें सहित अन्य सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की है। उन्होंने आपत्तिजनक भाषा वाला यह पत्र वापस न लेने पर अशासकीय विद्यालयों के शिक्षकों द्वारा विद्यालय जनपद और प्रदेश स्तर पर चरणबद्ध तरीके से आंदोलन की चेतावनी दी है।
इस अवसर पर संघ के संरक्षक प्रधानाचार्य शिवसिंह रावत, जिलाध्यक्ष बलबीर सिंह रौथाण, जिलामंत्री बीरेंद्र सिंह बर्त्वाल, कोषाध्यक्ष दर्शन लाल, आय व्यय निरीक्षक प्रथमेश सेमवाल, दिगम्बर सिंह पंवार, नरेंद्र सिंह पडियार, मुकुल मैठाणी, किशन भट्ट, भूप सिंह बर्त्वाल, रघुबीर सिंह रावत, धीरज झिंक्वांण,जयबीर सिंह नेगी, राकेश पंत, सतीश उनियाल, महावीर प्रसाद सेमवाल, विपिन भट्ट, दर्शन सिंह रौथाण, नरेश कोठारी आदि मौजूद थे।