रामरतन पवांर/गढ़वाल ब्यूरो।
अंथोली-सिलगाँव मोटर मार्ग वर्षो से झेल रहा डामरीकरण का दंश व मौत को दे रहा न्यौता, फिर भी शासन प्रशासन बैठा है चुप।
आखिर विभाग क्यों नही ले रहा है मोटर मार्ग की सुध, क्या एक बड़ी अनहोनी का कर रहा है विभाग इतंजार।
जखोली-सरकार के मोटर मार्गो के डामरीकरण व सुढृढ़ीकरण के दावे हमेशा हवा- हवाई ही साबित होते हैं। कई मोटर मार्ग ऐसे भी है जो कि कई बर्षो से जीर्ण शीर्ण स्थिति मे हैं जिसका जीता जागता उदाहरण भरदार पट्टी के अन्तर्गत अंथोली- सिलगाँव मोटर मार्ग का है।
बिदित हो कि उक्त मोटर मार्ग का निर्माण पी एम जी एस वाई रुद्रप्रयाग के द्वारा आज से लगभग 15 वर्ष पूर्व करवाया गया था व साथ ही साथ डामरीकरण भी करवाया गया था ।
जो कि डामरीकरण के कुछ सालो मे ही उखड़ने लगा। धीरे धीरे डामर उखड़ने से मोटर मार्ग की ऐसी स्थिति हो गयी कि मानो इस सड़क पर निर्माण से और आज दिन तक डामरीकरण हुआ ही नही हो। जबकि अंथोली- सिलगाँव मोटर मार्ग पर यहाँ की जनता वाहनो मे आवाजाही करने मे कतराती है। क्योंकि मार्ग पर बड़े बड़े गढ्ढे बने हुये है जिस कारण से यह मोटर मार्ग अपने आप मे बीमारी का दंश झेलने को मजबूर है।
यह मोटर मार्ग सिद्ध पीठ मठियाणा देवी के मन्दिर को भी जोड़ता है, इस मार्ग से हर साल सैकड़ों लोग माँ मठियाणा मन्दिर के दर्शन के लिए जाते है। लोग जान जोखिम मे डालकर सफर करने मे मजबूर है।
इस मोटर मार्ग पर डामरीकरण कराये जाने हेतू क्षेत्रीय प्रतिनिधि प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर जिलाधिकारी, विधायक, व समन्धित विभाग को कई बार लिखित रूप मे प्रस्ताव भी दे चुके है लेकिन इतना सब कुछ करने के बावजूद भी किसी को भी ना तो इस सड़क पर तरस आया और नाही यहाँ की जनता की जान की प्रवाह की।आखिर अब जनता किसको अपनी व्यथा सुनायेगी।
वही क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता गजेन्द्र भट्ट, सिलगाँव के पूर्व प्रधान मोहन सिह पवांर सहित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने कहा कि अगर सरकार द्वारा इस मोटर मार्ग पर यथाशीघ्र डामरीकरण नही करवाता है तो आन्दोलन व आमरण अनशन को मजबूर होगें।