कानपूर में जिहादियों पर क्यों टूट पड़ी यूपी पुलिस

कानपूर में दंगाईयों पर क्यों टूट पड़ी यूपी पुलिस। क्या दंगाईयों के द्वारा यूपी में सत्ता को भारत राष्ट्रपति के कार्यक्रम स्थल से कुछ दुरी पर दंगे करके
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कानपूर में दंगाईयों  पर क्यों टूट पड़ी यूपी पुलिस। क्या दंगाईयों के द्वारा यूपी में सत्ता को भारत राष्ट्रपति के कार्यक्रम स्थल से कुछ दुरी पर दंगे करके चुनौती दी गयी है।  क्या यह चुनौती देश के लिए सही है।  



ऐसे मौके विरले होते हैं जब भारत के राष्ट्रपति भारत के प्रधानमंत्री का स्वागत करने स्वयं आएंगे। ऐसे ही मौका था जब भारत के राष्ट्रपति अपने गावँ कानपुर देहात में थे और भारत के प्रधानमंत्री उनके मेहमान बने। भारत के संविधान के अनुसार राष्ट्रपति भारत के मुखिया होते हैं और भारत के प्रथम नागरिक का दर्जा मिला हुआ है। प्रोटोकॉल के अनुसार भारत के राष्ट्रपति का स्वागत भारत के प्रधानमंत्री करेंगे।

भारत के राष्ट्रपति के द्वारा भारत के प्रधानमंत्री और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी का स्वागत करना खलियर खेरातियों को अच्छा नही लगा। इसका कारण यह था कि राष्ट्रपति उस समय होस्ट थे और प्रधानमंत्री और योगी जी उनके मेहमान थे इसलिए राष्ट्रपति जी ने मोदी और योगी का स्वागत किया था।

यह बात खलियर खेरातियों को गले नही उतरी उन्होंने राष्ट्रपति जी के गावँ से कुछ किलोमीटर दूरी पर दंगे करने शुरू कर दिए यह घटना शुक्रवार को नमाज अदा करने के बाद हुई ऐसे क्यो हुआ यह समझने की कोशिश करेंगे।

आज भी खलियर खेराती मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री और योगी को गुरु गोरखनाथ पीठ का मठाधीश समझते हैं उन्हें योगी मुख्यमंत्री और मोदी प्रधानमंत्री के रूप में देखना कतई पसन्द नही है।

भारत के राष्ट्रपति द्वारा इस तरह से स्वागत किया जाना उन्हें अचंभित कर गया और दंगाइयों ने माननीय राष्ट्रपति के गाँव के कुछ ही किलोमीटर दूर पर दंगा शुरू कर दिए दिन था शुक्रवार/जुम्मे का दिन। नमाज के बाद यह घटना हुई यह खेल दंगाईयों ओर जेहादी सोच रखने वालों ने पुलिस पर हमला करके खेला गया।

अब सवाल है कि क्या इनके मंसूबे राष्ट्रपति अपने गावं में हैं  देश विदेश के मिडिया की नजर राष्ट्रपति के कार्यक्रम पर है सारी  सुरक्षा व्यवस्था राष्ट्रपति के प्रोटोकॉल में व्यस्त है ऐसे समय पर दंगे भड़का कर सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करवाए जा सकतें हैं जिससे कि देश विदेश की मिडिया में राष्ट्रपति के कार्यक्रम के दौरान कार्यक्रम स्थल से कुछ दुरी पर भड़की हिंसा के नाम से खबर चले और देश पर सवाल उठें। क्या ऐसे समय का चयन यह नहीं दर्शाता की देश का मुखिया और देश के प्रधानमंत्री के साथ उस  मुखिया सब एक साथ हैं और ख़ुफ़िया नाकामी और लोगों में असुरक्षा की भावना के साथ साथ विदेशों मिडिया में सवाल उछलें। ऐसे स्थानों पर दंगे वाली घटना का होना सवाल खड़े नहीं करता है कि इस तरह की घटना जब अमेरिकी राष्ट्रपति दिल्ली के दौरे पर थे तो पूरी दिल्ली को आग में झुलसाने की साजिश के साथ साथ दंगे भड़काने की पूरी योजना आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन द्वारा पेट्रोल बम, ईंट और पथ्थरों के साथ एसिड की व्यवस्था और धन की व्यवस्था की गयी थी इस घटना को कैसे क्रियान्वित करना है के लिए शरजील के साथ उमर खालिद ने योजना बनाई थी जिसे माननीय न्यायलय ने भी माना था। 

घटना  तुरंत बाद अखिलेश यादव द्वारा ट्वीट किया जाता है की माननीय राष्ट्रपति जी प्रधानमंत्री व् मुख्यमंत्री नगर में रहते हुए भी पुलिस और ख़ुफ़ियातंत्र की विफलता से भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा दिए गए भड़काऊ बयान के कारण यह हिंसा हुयी है। इसके लिए भाजपा की नेता को गिरप्तार करना चाहिए। हमारी सभी से शांति बनाये रखने की अपील है।  

अब सवाल यहां  पर दूसरा उठता है कि नूपुर शर्मा द्वारा टेलीविजन चैनलों को दिए अपने बयानों से क्या  हिंसा देश के सिर्फ कानपूर देहात जहाँ पर देश के  प्रधानमंत्री व् उस प्रदेश के मुखिया हैं उससे कुछ दूर असर पड़ा है देश के  किसी  इस तरह  गतिविधयां  क्यों नहीं हुई।  

अब  थोड़ा उस स्थान के इतिहास के बारे में बात करते हैं जिस स्थान पर यह घटना हुई- सवाल उठे कि ख़ुफ़िया एजेंसिया और पुलिस तंत्र इस दंगे की सुचना पाने  नाकामयाब रहा पर किसी को धार्मिक स्थान जाने से पुलिस नहीं रोक सकती है यह भी तय है अब दोनों जगहों से जुम्मे की नमाज पढ़ने के बाद भीड़ एक साथ निकली और दंगे होने शुरू हो गए लेकिन मेरे हिसाब से ख़ुफ़िया पुलिस और पुलिस दोनों इस घटना में फेल नहीं थे यदि फेल होते तो 10 मिनिट में ही इन दंगों को रोकने में यूपी पुलिस कैसे कामयाब हो गयी।  ख़ुफ़िया पुलिस ने इनपुट पुलिस को दिए थे कि दंगे हो सकतें हैं इसलिए पुलिस अलर्ट पर थी और ये दंगाई कुछ कर नहीं पाए इनका नाटक एक से डेढ़ घंटे तक चला और यूपी पुलिस द्वारा तत्काल कार्यवाही करके इनके आतंक को नेस्तनाबूद कर दिया गया इसके साथ ही आपने टेलीविजन चैनलों पर देख लिया होगा कि कैसे यूपी पुलिस द्वारा दंगाईयों की आवभगत में कोई कमी नहीं छोड़ी गयी अभी तक एक दर्जन दंगाईयों को गिरप्तार क्र लिया गया है बाकी को भी चिन्हित किया जा रहा है उनकी आवभगत जम के होगी। 

भारत को अस्थिर करने की गतिविधियां और भारत का विदेशों  वर्चस्व को चुनौती देने के लिए खलियर खैराती, दंगाई और इनके पालनहार कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे ऐसे क्यों है यदि 2014 के बाद देखें तो कश्मीर जो इससे पहले पथ्थरबाजी और बम विस्फोटों से अशांत रहता था में 2014 के बाद छिटपुट घटनाओं से अलावा कोई बड़ी वारदातें करने में आतंकी कामयाब नहीं हो पाएं इसका कारण है सुरक्षाबलों को आतंक खिलाफ खुली कार्यवाही करने की छूट केंद्र सरकार द्वारा दिया जाना।

 अब आपने आजकल कश्मीर की  खबरें देखि होगीं की इस वर्ष अभी तक 16 लोगों को मारा गया है यदि  घटनाओं को देखें तो पहले पथ्थरबाजी करने के  लिए भीड़  इकठ्ठा होती थी अब नहीं।

    अब इन आतंकी सोच वालों ने समझ लिया  कश्मीर का हर नागरिक जान चूका है कि धारा 370 और 35 A के साथ कश्मीर का अलग झंडा और अलग संविधान अब लागू नहीं होने वाला है। इसलिए ये आतंकी सोच रखने वाले चुनचुनकर लोगों को निशाना बना रहें हैं क्योंकि सरकारों द्वारा जो लोग पलायन कर गए थे उन्हें वापस बसाया जा रहा है और कश्मीर के अल्पसंख्यक जिन्हे भारत में बहुसंख्यक कहा जाता है को मुख्य पदों की जिम्मेदारी दी जा रही है जिससे की यहां आकर दुबारा बसने की इच्छा रखने वालों का काम आसानी से हो सके। इस सोच को बदलने में अभी समय लगेगा क्योंकि इतना आसान नहीं है जो लोग कल तक सत्ता के सहयोग से अपनी मनमानी आतंक का पर्याय बने थे उनकों एकदम से चुप बैठना पड़े यह उनकी फितरत बदलने में समय लगेगा।

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