काशी मुगलकाल के कलंक धुलने के लिए सर्वे और एक सन्यासी मुख्यमंत्री।
भगवान भोलेनाथ की पावन नगरी और हिन्दुओं के लिए श्रद्धा और आस्था का केंद्र काशी जिसके लिए कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ के त्रिशूल पर टिकी है काशी। हिन्दुओं की आस्था को यदि देखें तो ऐसे लगता है कि काशी पृथ्वी पर नहीं है अपितु भोलेनाथ के त्रिशूल पर ही है सभी की आस्था इतनी अगाध है जिसका वर्णन जुबान या कलम से करना किसी के बस में नहीं है। काशी में पहले संकरी गलियों से होकर काशी में भगवान को जल चढ़ाते थे।
आज काशी कॉरिडोर बनने से भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी की भव्यता और दिव्यता दर्शनार्थियों को अपनी और आकर्षित कर रही है। जिस स्वरूप में काशी को जाना जाता था भव्य और दिव्य आज वही स्वरूप काशी को मिला है जिससे काशी में पर्यटन और रोजगार के साथ साथ श्रद्धालुओं को भी अपने मन मुताबिक रुकने ठहरने के लिए स्थान मिल रहा है। यह सब कैसे सम्भव हुआ भगवान भोले की स्वरूप में पुनः कैसे आयी यह सब हमने अपनी आँखों से देखा है इसके साक्षी बनकर हम धन्य हुए हैं।
जिस काशी कॉरिडोर बनने से काशी की भव्यता और दिव्यता बनी है उस काशी को अभी और भव्य व दिव्य स्वरूप मिलना बाकी है इसी पवित्र भूमि पर एक कलंक है । इस कलंक का मामला अब इतनी प्रमुखता से क्यों उठ रहा है यह प्रश्न सभी के मन में है इसका कारण है कि पहले काशी की संकरी गलियों के कारण यह कलंक दिखता नहीं था कि यह कलंक मंदिर तोड़कर तैयार हुआ था। जब से काशी में कॉरिडोर बना यह कलंक साफ़ दिखने लगा है और हिन्दुओं की आस्था के प्रतीक को तोड़कर जबरन बनाया गया ढांचा आज साफ़ दिखने लगा है जिस कारण यह ज्ञानवापी का मामला सबकी जुबान पर चढ़ गया और मामला न्यायालय तक पंहुच गया।
गंगा जमुनी तहजीब के लोग इसे अपना हक मान रहें हैं जबकि उन्हें वस्तुस्थिति इतिहास के अनुसार यह स्थान तुरंत खाली विश्वनाथ मंदिर परिसर को स्वैच्छा से देना चाहिए। जिससे की हकीकत में गंगा जमुनी तहजीब की झलक साफ़ दिखती और लोगों का विश्वास इस गंगा जमुनी तहजीब पर होता। बहुत से पाठकों के मन में सवाल था की श्रृंगार गोरी स्थान कहाँ है? बहुत से पाठकों को अभी काशी विश्वनाथ जाने का मौका नहीं मिला होगा जबकि 1991 से पहले यहां पर गोरी पूजा होती थी जिसमें विशेष रूप से महिला श्रद्धालु माँ गोरी को श्रृंगार सामग्री चढाती थी जिससे कि इस स्थान को श्रृंगार गोरी के नाम से जाना जाता था ।
पांच महिलाओं के समूह ने लक्ष्मी देवी, गीता देवी, मंजू व्यास, राखी सिंह और रेखा पाठक इन पांच महिलाओं ने माननीय न्यायलय में अपील दायर की और कहा की हमें श्रृंगार गोरी के स्थान पर पूजा अर्चन पूर्व की भांति करने दिया जाये यह पूजा का अधिकार हमें इस धर्म निरपेक्ष देश में मिलना चाहिए यह अधिकार हमसे न छीना जाय जिससे कि हम अपनी आस्था को पुनः पूजा करके अपने धर्म कर्म कर सकें। इस अपील पर अदालत ने कहा कि कोई ऐसे तथ्य हैं क्या जो की बात को साबित कर सके। इस पर अदालत ने ज्ञानवापी में श्रृंगार गोरी वाले भाग की वीडिओग्राफ़ी सर्वे करने का आदेश दे दिया कि वीडिओग्राफ़ी करके पता लगाओ महिलाओं के द्वारा कहि गयी बात क्या सही है। अब इसी आदेश के आने के बाद पुरे देश में काशी की ज्ञानवापी जगह आ गयी और लोगों की उत्सुकता बनी की श्रृंगारगोरी वाले भाग पर अदालत क्या निर्णय लेती है।
17 मई से पहले होगा ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे- कोर्ट
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के लिए नियुक्त किए गए एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार को हटाए जाने से इनकार कर दिया। अदालत ने कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा के अलावा विशाल कुमार सिंह और अजय सिंह को भी कोर्ट कमिश्नर बनाया है। यह दोनों लोग या दोनों में से कोई एक इस सर्वे के दौरान मौजूद रहेगा। कोर्ट ने 17 मई को को सर्वे की अगली रिपोर्ट देने के लिए कहा है। कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे 17 मई से पहले कराने का आदेश दिया है।
ज्ञानवापी का पक्ष है कि यहां विडिओग्राफी न कराई जाय और न की जा सकती है क्योंकि यहां पर नियम है कि यहां विडिओग्राफी करना शख्त मना है शबरीमाला मंदिर का हवाला देते हुए कहा जा रहा है कि एक जगह के लिए उस संस्था का अपना नियम है तो यहां के लिए इस ज्ञानवापी कमेटी का नियम क्यों नहीं लागू हो सकता। इस पर न्यायालय ने कहा कि चाहे ताला तोड़ो चाहे कुछ भी करो हर एक कोने की विडिओग्राफी होगी और इस विडिओग्राफी वाली सर्वे टीम के कार्यों में बाधा डालने वालों पर तत्काल एफआईआर दर्ज हो। अब इसपर यह सवाल उठता है कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी की तरफ से विडिओग्राफी जो न्यायालय के आदेश पर की जानी है रोकी जा सकती है इसका जबाब है कि यह पक्ष उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकते है।
काशी में किसी भी तरह का बवाल या चूं चपड़ न हो के लिए योगी सरकार ने सुरक्षा के पुख्ता इन्तजामात काशी में कर लिए हैं और गौर करने वाली बात है कि योगी राज में कोई इस तरह की हरकत जो कानून सम्मत न हो नहीं करेगा क्योंकि उत्तरप्रदेश में सत्ता का इकबाल कायम है।
इसका उदाहरण ईद जैसे त्यौहार जिसमें कि अलग अलग राज्यों से हिंसा और छिटपुट घटना की खबरे मिडिया में आयी जबकि भारत का जनसंख्या के हिसाब से सबसे बड़ा राज्य उत्तरप्रदेश में ईद शांति अमन और भाई चारे के साथ मनाई गयी। दूसरा उदाहरण सभी मंदिरों और मस्जिदों से लाउडस्पीकर बिना किसी दबाब के स्वयं उपयोगकर्ताओं द्वारा अपनी ख़ुशी से उतारे जबकि अन्य राज्यों पर इस मामलें में अभी कोई बात करने को तैयार नहीं है।
क्या ऐसे ही राजयोगी की आवश्यकता हर प्रदेश के लोगों को अपने मुख्यमंत्री के रूप में है क्या भारत के लोग अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री को योगी की तरह फैसले और कार्यप्रणाली वाला देखना चाहते हैं इसका जबाब है हाँ।