जल जीवन मिशन की पेयजल स्रोत बहने से 5 गावों में पेयजल की किल्लत।
28 जून की रात पोंणगाड़ गदेरे पर पेयजल लाइन सहित मोटर वाहन पुल चढ़ गया आपदा की भेंट।
पहाड़ों में लगातार हो रही बरसात के चलते दिनांक 28 जून 2025 को मयाली-रणधार-बधाणी ताल जाने वाले मोटर मार्ग पर पौंठी से 1.5 किलोमीटर आगे पोंणगाड़ गदेरे पर कोठियाड़ा, बरसीर, पोंणजोली, जाखणी, कपनियां गावं की पेयजल लाइन का स्रोत आपदा की भेंट चढ़ने से पेयजल की बहुत अधिक किल्लत बन गयी है वही इस मार्ग पर पोंणगाड़ गदेरे पर बना गाडर पुल आपदा की भेंट चढ़ा जिससे कि बांगर पट्टी के 16 से अधिक गावों का सम्पर्क टूट गया। फ़िलहाल इन गावों के लोग गोरपा से कुरछोला होते हुए मयाली पहुंच रहे हैं जो कि बहुत लम्बा सफर है लेकिन यातायात की दिक्क्तें कुछ हद तक सम्भल गयी हैं।
निवर्तमान क्षेत्र पंचायत सदस्य आशीष नेगी, निवर्तमान क्षेत्र पंचायत सदस्य ज्ञान प्रकाश कोठारी,पूर्व प्रधान कपनियां महावीर सिंह, दिनेश नेगी, प्रदीप भट्ट, विजेंद्र कोठारी, रणवीर सिंह, जगदीश सिंह, दुर्लब सिंह आदि ने कहा कि आपदा की भेंट चढ़ चुके जल जीवन मिशन पेयजल योजना के स्रोत का जीर्णोद्धार तत्काल आपदा प्रबंधन मद से जिला प्रशासन द्वारा किया जाए जिससे कि पेयजल की समस्या का निराकरण हो सके।
गावों में पेयजल के स्रोत भी गावं से दूर हैं व इस क्षेत्र में फरवरी 2025 से अबतक 3 महिलाओं को गुलदार अपना निवाला बना चुका है। बरसात के मौसम के चलते सभी जगह झाड़ियां उग आयी हैं ऐसे में पानी लेने पारम्परिक स्रोत पर जाने से लोग डर रहें हैं। क्षेत्र में गुलदार का आतंक इस कदर है कि सायं के 4 बजने पर गुलदार गावों के नजदीक आ जा रहा है। इस स्थिति में पशुओं के लिए घास की व्यवस्था करने मे लोग झुण्ड बनाकर कहाँ से जाएँ गावं पलायन की मार से जूझ रहे और अधिकतर घरों में पशुपालन किया ही नहीं जा रहा गिने चुने घरों में पशुओं के होने से पशुपालकों को अधिकतर इतनी भी के बाद भी अकेले जाना पड़ रहा है। दूसरी तरफ धान की रोपाई का समय भी यही है और बच्चों के स्कूल भी खुल गए हैं तो स्थानियों का कहना है कि खेत में जाएँ तो बच्चों को कौन देखेगा, घास जाएँ तो गुलदार की डर ऊपर से पेयजल का अकाल जीवन जियें तो कैसे।